लखनऊ: आर. के. नाग (रामकिशोर नाग) के दो हास्य नाट्य संग्रहों का लोकार्पण।
आर. के. नाग (रामकिशोर नाग) के दो हास्य नाट्य संग्रहों का लोकार्पण
“हास्य नाटक आज की ज़रूरत” — पद्मश्री डॉ. विद्याविंदु सिंह
लखनऊ, 12 अक्तूबर : उमानाथ बली प्रेक्षागार के हाल में आयोजित एक गरिमामय समारोह में प्रसिद्ध नाटककार आर.के. नाग (रामकिशोर नाग) के दो नवीन हास्य नाट्य संग्रह ‘इटालियानो’ और ‘हम तो चले हरिद्वार’ का लोकार्पण किया गया। विमोचन समारोह में पद्मश्री डॉ. विद्याविंदु सिंह, वरिष्ठ अभिनेता डॉ. अनिल रस्तोगी, तथा भारतीय स्टेट बैंक के सहायक महाप्रबंधक दिवाकर मणि ने संयुक्त रूप से पुस्तकों का विमोचन किया। कार्यक्रम का संयोजन बिम्ब सांस्कृतिक समिति रंगमण्डल ने किया, संचालन नवल शुक्ल ने किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में पद्मश्री डॉ. विद्याविंदु सिंह ने कहा कि “आज के तनावपूर्ण और अवसादग्रस्त समय में हास्य नाटक केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के उपचार का औषध है।”उन्होंने नाट्य–साहित्य में साधारणीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “हास्य समाज की विडंबनाओं को सहज ढंग से प्रस्तुत करता है और उसी में समाधान की संभावना छिपी होती है।”
वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. अनिल रस्तोगी ने रमेश मेहता और सतीश डे जैसे हास्य नाटककारों के युग का उल्लेख करते हुए कहा कि “नाग के नाटक मंचन योग्य हैं और उनमें जनजीवन की सजीवता है।”
उन्होंने बताया कि आर.के. नाग को मोहन राकेश स्मृति पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है।एसबीआई के सहायक महाप्रबंधक दिवाकर मणि ने संस्कृत उद्धरण ‘काव्येषु नाटकं रम्यं’ का उल्लेख करते हुए कहा कि “नाट्य साहित्य समाज को शिक्षित करता है और विचारों को क्रियाशील बनाता है।” रचनाकार गोपाल कृष्ण शर्मा ‘मृदुल’ ने अपने वक्तव्य में कहा कि “आर.के. नाग ने हास्य के भीतर व्यंग्य की महीन धार को भी नाटकों में जीवित रखा है।”
लेखक आर.के. नाग ने अपने रचनाकर्म के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके नए संग्रहों में विशिष्ट हास्य के तीन–तीन प्रहसन सम्मिलित हैं।
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उन्होंने कहा कि अब तक वे 46 से अधिक नाटक लिख चुके हैं — ममता, रांग नम्बर, बंगला नम्बर 302, द कॉन्ट्रैक्ट, बकरी की मौत, सत्यदेव, कैदी सूरज की वापसी, स्पीड ब्रेकर, रिश्ते रिश्ते, कबीर एक ध्रुव तारा, घौलू पंडित, मुझे मौत दे दो आदि — जिनमें से अधिकांश का सफल मंचन हो चुका है। उनका पूर्व प्रकाशित संग्रह ‘वन टू का फोर’ पाठकों के बीच विशेष रूप से चर्चित रहा है।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन के साथ रंग–संस्कृति और हास्य के नव–आयामों पर चर्चा हुई। सभा में उपस्थित रचनाकारों, रंगकर्मियों और विद्यार्थियों ने आर.के. नाग की नाट्य दृष्टि को “समाज के आईने में मुस्कान की चमक” कहा।