मां दुर्गा के दिव्यास्त्रों की आध्यात्मिक महत्ता
लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला
मां दुर्गा के दिव्यास्त्रों की आध्यात्मिक महत्ता# आदिशक्ति का स्वरूप
“या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
(देवी महात्म्य, 5.16)
शक्ति के बिना शिव भी शव हैं, और ऊर्जा के बिना ब्रह्मांड भी जड़। देवी दुर्गा केवल पौराणिक पात्र नहीं, वे सर्वव्यापी ऊर्जा का प्रतीक हैं, जिनके अस्त्र-शस्त्र मात्र युद्ध के उपकरण नहीं बल्कि आध्यात्मिक और दार्शनिक सत्य के प्रतीक हैं।
# अस्त्र-शस्त्र और उनका रहस्य
1. शंख (ॐ का प्रतीक)
देवी के हाथ का शंख प्रणव-नाद का प्रतीक है।
शंख की ध्वनि अंधकार और नकारात्मकता को तोड़कर प्रकाश और प्राण का संचार करती है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी शंख-ध्वनि वायु में कंपन उत्पन्न कर वातावरण को शुद्ध करती है।
2. धनुष और बाण (संतुलित ऊर्जा)
धनुष = संयम
बाण = साहस
एक हाथ में धनुष-बाण का होना बताता है कि शक्ति तभी प्रभावी होती है जब वह संयमित और लक्ष्यभेदी हो।
3. वज्र और विद्युत (दृढ़ता)
वज्र, इन्द्र का शस्त्र, अजेयता और अडिगता का प्रतीक है। आध्यात्मिक जीवन में यह बताता है कि भक्त को अडिग विश्वास और अचल संकल्प रखना चाहिए।
4. कमल (पवित्रता और विकास)
कमल संसार के कीचड़ में खिलता है पर कीचड़ से अछूता रहता है। यह बताता है कि भक्त सांसारिक मोह-माया में रहते हुए भी निर्लिप्त और निर्मल बने रह सकते हैं।
5. सुदर्शन चक्र (काल और व्यवस्था)
यह विष्णु का चक्र है जो धर्मचक्र के रूप में घूमता है। मां की अंगुली पर घूमता चक्र यह बताता है कि समय और संसार की गति देवी की इच्छा और मर्यादा से नियंत्रित है।
6. तलवार (ज्ञान और विवेक)
ज्ञान की तलवार सभी अज्ञान और भ्रम को काटती है। देवी की तलवार सिर्फ भौतिक युद्ध का अस्त्र नहीं, बल्कि विवेक और आत्मबोध की ज्योति है।
7. त्रिशूल (त्रिगुण और त्रिविध दुःख का नाश)
त्रिशूल तीन शूलों का नाश करता है –
आध्यात्मिक पीड़ा (आध्यात्मिक अज्ञान)
मानसिक पीड़ा (भय, क्रोध, मोह)
शारीरिक पीड़ा (रोग और दुःख)
त्रिशूल हमें सिखाता है कि देवी केवल बाहरी शत्रुओं को ही नहीं, बल्कि हमारे अंतर्यामी शत्रुओं को भी नष्ट करती हैं।
# शेर पर आरूढ़ रूप (निर्भीकता और साहस)
सिंह अहंकार और हिंसा का प्रतीक है। देवी जब उस पर आरूढ़ होती हैं तो यह संकेत है कि मानव को अपनी कामनाओं और विकृतियों पर विजय पाकर ही दिव्यता प्राप्त होती है।
# दार्शनिक निष्कर्ष
देवी के प्रत्येक अस्त्र हमें यह सिखाते हैं कि जीवन का वास्तविक युद्ध भीतर के राक्षसों से है।
महिषासुर केवल बाहरी असुर नहीं, बल्कि हमारे भीतर का अहंकार, वासना, क्रोध और अज्ञान है।
मां दुर्गा के शस्त्र हमें साहस, विवेक, पवित्रता और संतुलन का संदेश देते हैं।
# शास्त्रीय आधार
देवी महात्म्य (मार्कण्डेय पुराण) – मां के शस्त्रों और उनके प्रयोग का विस्तृत वर्णन।
देवी भागवत पुराण – आद्याशक्ति की उत्पत्ति और देवताओं द्वारा प्रदत्त अस्त्रों का महत्व।
तंत्र शास्त्र – प्रत्येक अस्त्र को विशेष मंत्र और ऊर्जा से जोड़ा गया है।
“या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
मां के अस्त्र-शस्त्र केवल युद्ध की सामग्रियाँ नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मार्गदर्शन के प्रतीक हैं, जो हमें भय से मुक्त कर धर्म, ज्ञान और करुणा के पथ पर अग्रसर करते हैं।