उम्मीद की मशाल और आत्मनिर्भर भारत की राह

 लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला


उम्मीद की मशाल और आत्मनिर्भर भारत की राह

जो लोग बार-बार कहते हैं कि देश और समाज का कुछ नहीं हो सकता, वे असल में अपनी हार मान चुके होते हैं। उनका निराशा में डूबा मन उम्मीद की रोशनी नहीं देख पाता। किंतु इतिहास का शाश्वत नियम है—यदि अंधेरा दस बार पुकारेगा तो उजाला बीस बार प्रत्युत्तर देगा। पतन कभी अंतिम नहीं होता; उत्थान हमेशा उसके पीछे खड़ा रहता है। निराशा केवल भ्रम है, जबकि आशा जीवन की सच्चाई है।

मानव सभ्यता ने हर संकट के बाद नया अध्याय लिखा है। हर अंधकार के बाद भोर आई है, हर पतन के बाद पुनर्निर्माण हुआ है। इंसानियत की यात्रा सदा बेहतर बनने की ओर अग्रसर रही है। हमें केवल विश्वास और कर्म की मशाल थामे रखना है, क्योंकि यही मशाल आने वाली पीढ़ियों के मार्ग को प्रकाशित करेगी।

लेकिन केवल आशा पर्याप्त नहीं; उसे कर्म की ठोस ज़मीन चाहिए। यही कर्म तब फलित होता है जब समाज और शासन मिलकर भविष्य का सपना गढ़ते हैं।

आज भारत के सामने सबसे बड़ा अवसर है—वैश्विक टेक्नोलॉजिकल आत्मनिर्भरता का। सूचना-प्रौद्योगिकी से लेकर रक्षा और अंतरिक्ष तक, हर क्षेत्र में सेमीकंडक्टर आधारभूत भूमिका निभाते हैं। यदि भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता है तो न केवल अर्थव्यवस्था में क्रांति आएगी, बल्कि भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी भारत की स्थिति सुदृढ़ होगी।

सरकार के लिए यह समय है कि वह दूरदृष्टि के साथ सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल को प्राथमिकता दे।

इस भूभाग के पास वे सभी आवश्यक तत्व हैं—

 विशाल और प्रशिक्षित होने योग्य मानव संसाधन,

 क्लीन वॉटर सप्लाई की क्षमता,

 ग्रीनफ़ील्ड इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के विकास की संभावना,

और उच्च क्षमता वाला पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर।

यदि इन राज्यों को तकनीकी विकास की धुरी बनाया जाए तो न केवल क्षेत्रीय संतुलन बढ़ेगा बल्कि देश का संपूर्ण सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम भी मजबूत होगा। दीर्घकालिक दृष्टि से यही कदम भारत को टेक्नोलॉजिकल सेल्फ-रिलायंस की ओर ले जाएगा।

निराशा की आवाज़ें चाहे कितनी भी उठें, उम्मीद के गीत सदा प्रबल रहेंगे। और जब उम्मीद कर्म में बदलती है, तो वह केवल प्रकाश नहीं फैलाती—वह आने वाली पीढ़ियों के भाग्य का नक्शा भी गढ़ती है।

👉 बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए सेमीकंडक्टर/एडवांस्ड-इलेक्ट्रॉनिक्स का एक प्राइमरी ब्लूप्रिंट। इसमें स्पष्ट फ़ेज़िंग, नीति-पैकेज, साइट-रणनीति, स्किलिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और 100-दिन/12-माह/36-माह के लक्ष्य शामिल हैं—ताकि “उम्मीद” तुरंत “कर्म” में बदले।

1) स्पष्ट लक्ष्य (2025–2030)

 फोकस-स्टैक :

   फेज़-1 : ATMP/OSAT, सेंसर/पावर-इलेक्‍ट्रॉनिक्स (SiC/GaN), PCB व सब-असेंबली।

   फेज़-2 : 180nm–65nm mature nodes के लिए specialty fabs (अनुप्रयोग: ऑटो, औद्योगिक, रक्षा), डिस्क्रीट/एनालॉग।

   फेज़-3: 40nm और उससे आगे (हाइब्रिड/3D इंटीग्रेशन, heterogeneous packaging)।

  (भारत का केंद्रीय सपोर्ट—फैब्स के लिए 50% तक कैपेक्स सपोर्ट, डिज़ाइन के लिए DLI—के साथ तालमेल रखें।

 एंकर-टार्गेट्स : हर राज्य में 1 बड़े ATMP/OSAT + 2–3 मिड-साइज़ कंपोनेंट/सब-एसेम्बली प्लांट्स (पहले 24–36 माह में); 1 specialty fab (36–60 माह).

आउटकम : 5 वर्षों में 50–75k प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार; \$6–8bn निजी निवेश crowd-in, घरेलू वैल्यू-ऐड में तेज़ वृद्धि (Micron/CG Power जैसे उदाहरण भारत में टेम्पलेट दे चुके हैं—ATMP/OSAT पहले, फिर स्केल-अप।

2) साइट-रणनीति

 उत्तर प्रदेश

प्राइम लोकेशन : NOIDA–Greater Noida–YEIDA (Jewar) क्लस्टर + कानपुर–लखनऊ–आगरा इंडस्ट्रियल बेल्ट।

  UP की इलेक्ट्रॉनिक्स नीति ने पहले से NOIDA–GN–YEIDA को Electronic Manufacturing Zone घोषित किया है; नई UP ECMP-2025 इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट विनिर्माण को बूस्ट देती है—इन्हीं पर सेमीकंडक्टर-सब्स्ट्रेट/ML-PCB/कैमरा-मॉड्यूल तक बढ़ाएँ। 

लॉजिस्टिक्स : ईस्टर्न DFC की कनेक्टिविटी (Khurja–Dadri लिंक, मल्टी-मोडल) + Jewar/DEL एयर-कार्गो।

 बिहार

 प्राइम लोकेशन : बिहटा (पटना) एयरो-इंडस्ट्रियल जोन, हाजीपुर–मुज़फ्फरपुर (NH/रेल हब), बड़ौनी/बेगूसराय (पावर/पेट्रो-आधारित सप्लाई), गया (एयर कार्गो); Ganga बेसिन के कारण क्लीन-वॉटर स्केल-अप संभव।

नीति-सिंक : Bihar IT/ESDM Policy (2024 highlights) के एम्प्लॉयमेंट/टर्नओवर पैरामीटर्स को सेमी-ग्रेड क्लस्टर के लिए अपग्रेड करें (OSAT/PCB/टेस्टिंग के अनुरूप)।

* लॉजिस्टिक्स : Eastern DFC (Dankuni–Khurja) कॉरिडोर से कनेक्टिविटी; पटना/गया एयर-कार्गो से हाई-मूल्य shipments।

3) पानी-बिजली-क्लीनरूम: “फर्स्ट-प्रिंसिपल” इन्फ्रा

वॉटर : सेमी फेब/ATMP को 2–10 MGD ultra-pure water (UPW) तक की आवश्यकता हो सकती है। शुरू से recycle-first डिज़ाइन (≥85% रीक्लेम) व zero-liquid-discharge अपनाएँ।  

पावर : 24×7, N-1 redundancy सबस्टेशन, <10ms स्विचओवर; 30–40% ग्रीन-PPAs (सोलर/हाइब्रिड) + on-site गैस टर्बाइन/फ्यूल-सेल बैकअप।

क्लीनरूम : ISO-14644 क्लस्टर, बायोक्लीन/केमिकल-हैंडलिंग SOPs, फास्ट-ट्रैक common chemicals park (HF, HCl, IPA, specialty gases) के लिए सुरक्षित ज़ोन।

 कचरा/ESG : ETP-STP इंटीग्रेटेड, VOC नियंत्रण, rainwater harvesting, biodiversity offsets (राज्य EIA में ग्रीन-लाइट SLA निर्धारित करें).


4) नीति-पैकेज (State + Centre “Stack”)

1. कैपेक्स :

 Centre (ISM): Fab के लिए परियोजना लागत का 50% तक; राज्य 20–25% तक matching support (land/infra/utility क्रेडिट के रूप में) दे।

2. Opex : 10 वर्षों तक पावर टैरिफ सब्सिडी, वॉटर-यूसेज रिबेट, SGST रिइम्बर्समेंट, स्टाम्प/रजिस्ट्रेशन छूट।

3. डिज़ाइन-ईकोसिस्टम : DLI के साथ राज्य-टॉप-अप (EDA टूल्स, MPW शटल, प्रोटोटाइप फंडिंग, 1:1 अनुदान)। 

4. सिंगल-विंडो : “State Semiconductor Mission (SSM)”—CM-चेज़्ड Empowered Committee; 45-दिन green-channel क्लीयरेंस, मॉडल बोइलर/फैक्ट्री/हैज़मैट कोड हार्मोनाइज़ेशन।

5. प्रोक्योरमेंट : राज्य-PSUs/डिस्कॉम/EV-बस/मेडटेक प्रोग्राम्स में “India-made chips/components” preference (WTO-संगत स्थानीयकरण क्लॉज़ेज़ के साथ)।

5) टैलेंट-पाइपलाइन (Triple-Helix: Univ–Industry–Govt)

 UP: IIT-Kanpur (माइक्रो/वीएलएसआई, SIIC), IIT-BHU, AKTU नेटवर्क, IIIT-Allahabad—Semiconductor Finishing Schools + cleanroom fellowships + EDA अकाडमी। 

 Bihar : IIT-Patna, NIT-Patna, BCE-Bhitia इत्यादि—ATMP technician ट्रैक (ITI/Polytechnic), process control डिप्लोमा, ऑपरेटर-क्रॉस-स्किलिंग।

 स्कॉलरशिप/बॉन्डिंग : 2-वर्षीय “Chip Gurukul”—राज्य-वित्तपोषित छात्रवृत्ति + 3-साल सर्विस बॉन्ड, इंटरनेशनल अप्रेंटिसशिप (ताइवान/जापान/EU)।

6) क्लस्टर-डिज़ाइन (Both States)

 Cluster-A (UP–West) : YEIDA “Chip City”: 500–700 एकड़—ATMP/OSAT + ML-PCB + कैमरा/ऑटो-मॉड्यूल + केमिकल्स पार्क + common UPW & ETP.

Cluster-B (UP–Central) : कन्नौज-कानपुर–अन्यत्र specialty ceramics, tooling, precision-machining।

Cluster-C (Bihar–Patna Bihta) : 300–400 एकड़—ATMP/टेस्ट, पावर-इलेक्ट्रॉनिक्स (SiC/GaN), टेस्ट-हाउस, ऑटो/रेल इलेक्ट्रॉनिक्स।

Cluster-D (Bihar–Hajipur/Muzaffarpur) : PCB/EMS, बॉक्स-बिल्ड, लॉजिस्टिक्स हब—EDFC नोड्स से लिंक। ([dfccil.com][6])

7) 100-दिन, 12-माह, 36-माह का रोडमैप

 पहले 100 दिन

 SSM (Empowered Committee) नोटिफ़ाई; single-window लाइव।

 साइट-फ़्रीज़: YEIDA “Chip City”; Bihta “ATMP Park”।

वाटर-पावर DPR (UPW 3–5 MGD स्टेज-1; 220/400 kV दुहरी फीड)।

10 Global + 25 Domestic EOIs (OSAT/ATMP, SiC/GaN, टेस्ट-हाउस, ML-PCB)।

 “Chip Gurukul” MoU (IITs/NITs/AKTU/ITI)।

12 माह

 2–3 एंकर ATMP/OSAT के साथ राज्य-MoU; कंस्ट्रक्शन स्टार्ट।

 EDA/DLI Design Hub ऑपरेशनल (20–30 स्टार्टअप), MPW शटल रन।

 UPW प्लांट-1 कमिशन (≥85% रीसाइकिल), केमिकल्स-पार्क फेज-1।

 Green PPAs 300–500 MW साइन; EDFC-लिंक्ड लॉजिस्टिक्स SOPs।

36 माह

1–2 ATMP/OSAT प्रोडक्शन-रैंप; 5–7 कंपोनेंट/EMS यूनिट्स चालू।

Specialty SiC/GaN line (pilot) + mature node fab के लिए JV/consortium RFP।

25k+ वर्कफ़ोर्स trained; local value-add ≥30% लक्ष्य पार।

8) जोखिम-नियंत्रण (Risk Guardrails)

वॉटर-स्टेसिस: Drought-proofing: नदी-आधारित intake + treated wastewater reuse + seasonal storage; 90-दिवसीय बफ़र।

सप्लाई-रिस्क : केमिकल/गैस dual-vendor, just-in-case इन्वेंट्री; IMDG-compliant हैंडलिंग।

 ग्रिड-रिलायबिलिटी: islanding + fast-transfer; UPS-flywheel + fuel-cell बैकअप।

 स्किल-गैप: vendor-certified micro-credentials (process, EHS, metrology) + returning diaspora कार्यक्रम।

 नीति-निरंतरता: bipartisan “Semicon Compact”—5-वर्ष grandfathering।


9) संक्षिप्त “बिज़नेस केस”

क्यों अभी? ग्लोबल सप्लाई-चेन “China+1/Alt-Asia” रीरूट हो रही; भारत में ATMP/OSAT/पैकेजिंग ने proof-point बना दिया।

क्यों UP–Bihar? जनसंख्या-स्केल टैलेंट, EDFC-लॉजिस्टिक्स, Jewar/पटना-गया एयर-कार्गो, क्लीन-वॉटर पोटेंशियल, और UP की घटक-नीतियाँ पहले से primed हैं।