“AI की आंधी और नौकरी का भविष्य : भारत के लिए चेतावनी”
लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला
“AI की आंधी और नौकरी का भविष्य : भारत के लिए चेतावनी”
तकनीकी दुनिया में इस साल की सबसे बड़ी हलचल है—नौकरी का अंतहीन संकट और वह भी बिना किसी आर्थिक मंदी के। Microsoft, Salesforce, TCS, Intel, Meta और Amazon जैसी कंपनियों ने यह साफ़ कर दिया है कि उनका भविष्य इंसानों की बजाय AI सिस्टम पर टिका है। सवाल यह है कि क्या यह केवल कॉर्पोरेट रणनीति है या एक सामाजिक विस्फोट की भूमिका तैयार हो रही है?
# कॉर्पोरेट का नया मंत्र : इंसान से तेज़, सस्ता और बिना शिकायत AI
Salesforce का Agentforce आधे से ज्यादा ग्राहक संवाद सँभाल रहा है और हज़ारों सपोर्ट स्टाफ़ सड़क पर हैं। TCS ने बेंच पॉलिसी के ज़रिए मिड-लेवल और सीनियर कर्मचारियों को बेरोज़गारी की खाई में धकेल दिया। Microsoft और Meta ने तो साफ कह दिया—यह छंटनी “नॉन-रेग्रेटेबल” है। यानी जिन लोगों ने कंपनी की दशकों तक सेवा की, उनका जाना कभी अफसोस का कारण नहीं होगा।
यह न सिर्फ क्रूर कॉर्पोरेट ठंडापन है, बल्कि यह उस विचारधारा का प्रतीक है जो मानव श्रम को ‘खर्चे की वस्तु’ मानती है, इंसानी गरिमा नहीं।
# भारत के लिए खतरे की घंटी
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS जब 12,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा सकती है, तो बाकी कंपनियों के लिए यह “नई सामान्य स्थिति” बनने वाली है। यह केवल आईटी सेक्टर की समस्या नहीं है।
भारत में मध्यम वर्ग की आकांक्षाएँ आईटी सेक्टर से जुड़ी रही हैं। जब यह आधार हिलता है तो पूरे समाज की आर्थिक स्थिरता डगमगाती है।
सरकारी नीतियाँ अब तक केवल कॉर्पोरेट मुनाफ़े को आसान बनाने तक सीमित रही हैं। क्या श्रमिकों की सुरक्षा पर कोई ठोस योजना बनी? जवाब है—नहीं।
क्या होना चाहिए? भारत-विशेष नीति सिफारिशें
1. शिक्षा सुधार :
उच्च शिक्षा संस्थानों में AI और डिजिटल स्किल्स को अनिवार्य बनाया जाए।
केवल इंजीनियरिंग ही नहीं, कॉमर्स, आर्ट्स और सोशल साइंसेज़ में भी AI-साक्षरता पढ़ाई जाए।
2. श्रम कानून :
कंपनियों पर बाध्यता हो कि बड़े पैमाने पर छंटनी से पहले री-स्किलिंग प्रोग्राम चलाएँ।
नोटिस पीरियड और सेवरेंस पैकेज को और सख़्त और पारदर्शी बनाया जाए।
3. डिजिटल स्किल मिशन :
केंद्र सरकार “AI स्किल इंडिया मिशन” शुरू करे, जिसमें बेरोज़गार हो चुके आईटी प्रोफेशनल्स को सब्सिडी पर री-ट्रेनिंग मिले।
राज्य सरकारें इसे स्थानीय स्तर पर रोजगार योजनाओं से जोड़ें।
4. सामाजिक सुरक्षा :
यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर गंभीर विचार होना चाहिए, ताकि अचानक छंटनी से लाखों परिवार गरीबी रेखा से नीचे न गिरें।
बेरोज़गारी भत्ते की व्यवस्था मजबूत और डिजिटल हो।
AI अब कोई विकल्प नहीं, हकीकत है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या भारत इस तकनीकी बदलाव को सामाजिक न्याय के साथ संतुलित कर पाएगा या नहीं। यदि सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं, तो करोड़ों युवाओं का भविष्य AI की “ब्लैक बॉक्स” में खो जाएगा।
“AI भविष्य की ताक़त है, लेकिन यदि भारत ने अभी न संभाला, तो यह ताक़त हमारे युवाओं की सबसे बड़ी कमज़ोरी बन जाएगी।”