लखनऊ: ‘विजन 2047’ को समर्पित 22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला, बलरामपुर गार्डन में 4 सितम्बर से

 लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला 

विजन 2047’ को समर्पित 22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला, बलरामपुर गार्डन में 4 सितम्बर से

लखनऊ, 2 सितम्बर : राजधानी लखनऊ का बलरामपुर गार्डन इस बार ज्ञान और साहित्य के विराट उत्सव का साक्षी बनेगा। विजन 2047 : विकसित भारत, विकसित प्रदेश थीम पर आधारित 22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला आगामी 4 सितम्बर की शाम पांच बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के शुभारम्भ के साथ प्रारम्भ होगा। यह आयोजन ग्यारह दिनों तक चलेगा और साहित्य प्रेमियों को पुस्तकों, विचारों और संस्कृति के महाकुंभ से जोड़ देगा।

लगभग 75 हजार वर्ग फीट में फैला यह मेला 50 से अधिक प्रतिष्ठित प्रकाशकों और 120 से अधिक स्टॉलों के साथ विशाल विक्रय-प्रदर्शनी का रूप लेगा। हिंदी, अंग्रेज़ी और अन्य भारतीय भाषाओं की साहित्यिक कृतियों, शैक्षणिक पुस्तकों, बाल साहित्य और दुर्लभ संग्रहों की हजारों पुस्तकें यहाँ उपलब्ध होंगी। सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए निशुल्क प्रवेश के साथ यह मेला प्रतिवर्ष की तरह आकर्षण का केंद्र बनेगा।

मेला संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने कहा— “यह केवल पुस्तक मेला नहीं, बल्कि ज्ञान और संस्कृति का उत्सव है।”


मेले में कवि सम्मेलन, मुशायरा, पुस्तकों के विमोचन, लेखक सत्र और पैनल चर्चाएँ आयोजित होंगी। बाल पाठकों के लिए कहानी सत्र और प्रतियोगिताएँ होंगी, जबकि युवाओं के लिए विशेष कोना उनकी रचनात्मकता और साहित्यिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करेगा।

प्रत्येक दिन सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक जारी रहने वाले इस मेले में खरीदी गई हर पुस्तक पर कम से कम 10% की छूट मिलेगी। यही नहीं, पाठकों को सीधे लेखकों और प्रकाशकों से मिलने, संवाद करने और साहित्य की नई धाराओं को समझने का अवसर भी प्राप्त होगा।

वरिष्ठ साहित्यप्रेमी टी.पी. हवेलिया ने इसे उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक आयोजनों में से एक बताया और कहा कि पुस्तक मेला पठन संस्कृति को बढ़ावा देने और रचनाकारों को मंच देने का निरंतर प्रयास है।

इस आयोजन को सफल बनाने में यूपी मेट्रो, रेडियोसिटी, ओरिजिंस, किरण फाउंडेशन, ज्वाइन हैंड्स फाउंडेशन, लोकआंगन और विश्वम् फाउंडेशन्स जैसे संस्थान सहयोग कर रहे हैं।


लखनऊ का यह राष्ट्रीय पुस्तक मेला केवल पुस्तकों की बिक्री-खरीद का मंच नहीं, बल्कि विचारों के आदान-प्रदान, सांस्कृतिक संवाद और साहित्यिक चेतना के विस्तार का उत्सव है। विजन 2047 की थीम इसे और भी सार्थक बनाती है, क्योंकि यह आने वाले भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक दिशा को परिभाषित करने का एक सशक्त प्रयास है।