एच-1बी वीज़ा में बदलाव और भारत-अमेरिका संबंध: स्थिति और चुनौतियाँ
लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला
एच-1बी वीज़ा में बदलाव और भारत-अमेरिका संबंध: स्थिति और चुनौतियाँ
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अक्सर अपनी गहरी मित्रता का दावा किया है। यह मित्रता, दोनों देशों के राजनीतिक दृष्टिकोण, नेतृत्व शैली और राष्ट्रवाद को केन्द्र में रखने के तरीकों में सामंजस्य पर आधारित प्रतीत होती है। हालांकि, हाल ही में एच-1बी वीज़ा पर ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए नए शुल्क और नियमों ने इस मित्रता की सीमाओं और भारत की विदेश नीति की चुनौतियों को उजागर किया है।
# अमेरिका का नया एच-1बी नियम
मुख्य बदलाव : अमेरिका ने घोषणा की है कि नए एच-1बी वीज़ा आवेदनों पर प्रत्येक आवेदन के लिए \$100,000 (\~88 लाख INR) शुल्क लागू होगा।
उद्देश्य :
1. अमेरिकी श्रमिकों की रक्षा।
2. वीज़ा प्रणाली के दुरुपयोग को रोकना।
3. संवेदनशील उद्योगों में विदेशी कर्मचारियों पर अत्यधिक निर्भरता कम करना।
सीमाएँ :
मौजूदा एच-1बी वीज़ाधारकों पर कोई असर नहीं।
नवीनीकरण पर शुल्क लागू नहीं।
केवल नए आवेदनों और आगामी लॉटरी साइकिल पर लागू होगा।
# भारत पर प्रभाव
1. टेक सेक्टर :
भारतीयों की हिस्सेदारी एच-1बी वीज़ाधारकों में 70% से अधिक है।
नई फीस नए आवेदकों और अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे पेशेवरों के लिए बाधा।
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में अनिश्चितता और योजना कठिनाई।
2. शोध एवं शिक्षा :
अमेरिकी विश्वविद्यालयों में शोध कर रहे भारतीय छात्रों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव।
प्रतिभाशाली शोधकर्ताओं और पेशेवरों के अमेरिका जाने की योजनाओं में व्यवधान।
3. आर्थिक और सामाजिक पहलू :
टिकट कीमतों में अचानक वृद्धि, उड़ानों में बदलाव।
अमेरिकी कंपनियों ने विदेश में काम कर रहे कर्मचारियों को सलाह दी कि अंतरराष्ट्रीय यात्रा टालें।
प्रवासी भारतीय परिवारों में चिंता और असुरक्षा।
# भारत की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय : फ़ैसले की समीक्षा कर रहा है, लेकिन फिलहाल ठोस कदम उठाने की स्थिति सीमित।
मोदी सरकार की नीति :
आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के घोषणापत्रों के बावजूद, विदेश नीति में इसका प्रत्यक्ष प्रभाव सीमित प्रतीत होता है।
मीडिया में इसे अवसर के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है—प्रतिभा वापस लाने और घरेलू उद्योग में निवेश बढ़ाने के दृष्टिकोण से।
1. भारत-अमेरिका मित्रता और वास्तविकता :
व्यक्तिगत और राजनीतिक मित्रता का दावा संभव है, लेकिन नीतिगत फैसलों में यह हमेशा प्रतिबिंबित नहीं होता।
2. व्यावहारिक चुनौतियाँ :
प्रतिभा पलायन (Brain Drain) को रोकने और टेक सेक्टर की सुरक्षा।
विदेश में काम कर रहे भारतीयों और उनके परिवारों की सुरक्षा और भविष्य।
3. सरकारी जिम्मेदारी :
स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करना।
संभावित आर्थिक और सामाजिक प्रभावों का पूर्वानुमान।
देश लौटने वाले प्रवासी भारतीयों के लिए योजनाएँ तैयार करना।
# सिफारिशें
1. अमेरिका से जुड़े नियमों के लिए नियमित समीक्षा और मार्गदर्शन।
2. घरेलू टेक्नोलॉजी और शिक्षा क्षेत्र को मजबूत करना ताकि विदेशी अवसरों पर निर्भरता कम हो।
3. प्रवासी भारतीयों के कल्याण और रोजगार के लिए सरकारी योजनाओं का विस्तार।