नई पीढ़ी और Gen Z: इतिहास, प्रगति और राजनीति
लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला
नई पीढ़ी और Gen Z: इतिहास, प्रगति और राजनीति
हर पीढ़ी अपने बाद आने वाली पीढ़ी को कमतर आंकती है। बुज़ुर्ग अक्सर कहते हैं कि आज के लड़के-लड़कियाँ बिगड़ गए हैं, उनमें अनुशासन और ज़िम्मेदारी नहीं रही। वे मानते हैं कि उनके समय की दुनिया ही वास्तविक दुनिया थी और उसके बाद सब गिरावट की ओर चला गया। लेकिन इतिहास और समाजशास्त्र इसे असत्य साबित करते हैं।
हर नई पीढ़ी अपने पहले वालों से कहीं ज़्यादा विकसित, समझदार और संभावनाओं से भरी होती है। इसका कारण स्पष्ट है—मनुष्य का जीवन कभी अकेले नहीं चलता। बच्चा जब पैदा होता है, उसे पूरी सभ्यता का तैयार खज़ाना मिलता है—भाषा, विज्ञान, कला, तकनीक और विचार। वह जहाँ से शुरू करता है, वहाँ तक उसके पूर्वजों ने पहुँचाया होता है। यही वजह है कि नई पीढ़ी हमेशा आगे बढ़ी हुई स्थिति से अपनी यात्रा शुरू करती है।
# पुरानी पीढ़ियों का दृष्टिकोण
पुराने लोग अक्सर नई पीढ़ी की प्राथमिकताओं और चुनौतियों को नहीं समझ पाते। वे उसे आलस्य या बिगड़ापन मानते हैं। उदाहरण के लिए, पहले जहाँ जीवित रहना ही बड़ी लड़ाई थी, वहाँ आज ज्ञान, पहचान और स्वतंत्रता की लड़ाई है। वे कठिनाइयों को गौरव समझते थे, जबकि नई पीढ़ी उन्हें समाप्त करने की कोशिश करती है। यही कारण है कि पीढ़ियों में टकराव पैदा होता है।
आज के दौर में Gen X, Millennials और Gen Z के संदर्भ में यह अंतर सबसे स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। Gen X वाले अक्सर कहते हैं कि उन्होंने सीमित साधनों में करियर बनाया और संघर्ष से अपनी जगह बनाई। Millennials पर आरोप है कि वे ओवरसेंसिटिव हैं और केवल आराम चाहते हैं। Gen Z को और भी कठोर शब्दों में आंका जाता है—मोबाइल और सोशल मीडिया का गुलाम कहा जाता है।
लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि Gen Z के सामने जिन हालात और तकनीक ने जन्म लिया, वे पहले कभी मौजूद नहीं थे। उनकी तेज़ी से बदलती दुनिया को समझने और नए समाधान खोजने की क्षमता पुरानी पीढ़ियों की तुलना में कहीं अधिक गहरी है।
# तकनीक और समाज में बदलाव
आज के Gen Z के हाथ में जो साधन हैं, उन्हें वे सामान्य मानते हैं, लेकिन यही उनके आगे की प्रगति की नींव है। इंटरनेट, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, जलवायु संकट, लैंगिक समानता—जैसे सवाल पहले कभी इतनी तीव्रता से सामने नहीं आए थे।
पिछली पीढ़ियाँ इंटरनेट और वैश्विक जानकारी के विस्फोट के समय वयस्क थीं और इस ताक़त का सतही या राजनीतिक उपयोग करती रहीं। इसके उलट, Gen Z इस डिजिटल दुनिया में जन्म से पली-बढ़ी है। उनके लिए सूचना चमत्कार नहीं, बल्कि रोज़मर्रा का हिस्सा है। यही कारण है कि वे प्रचार और हकीकत में फर्क कर सकते हैं और सतही नारेबाज़ी में बहते नहीं।
# ऐतिहासिक दृष्टि
इतिहास में यह पैटर्न हर जगह दिखाई देता है। जिन बच्चों ने दो सौ साल पहले कारखानों में काम शुरू किया, उन्हें बुज़ुर्ग गैर-जिम्मेदार समझते थे। जिन्होंने आधुनिक शिक्षा ली, उन्हें आलसी कहा गया। लेकिन वही बच्चे बाद में नई औद्योगिक और वैज्ञानिक दुनिया के निर्माता बने।
जो लोग स्त्रियों की शिक्षा और उनके अधिकार की बात करते थे, उन्हें उनके समय के लोग पागल मानते थे। लेकिन आने वाली पीढ़ी ने इन अधिकारों को स्वाभाविक मान लिया। यही दिखाता है कि हर पीढ़ी पिछली पीढ़ी की सीमाओं को तोड़ती है। जो असंभव लगता है, वही अगली पीढ़ी के लिए सामान्य बन जाता है।
# Gen Z और राजनीति
आज के हालात का ठीकरा Gen Z पर फोड़ना नाइंसाफी है। उन्होंने हाल ही में ही वोट देना शुरू किया। उनका पहला बड़ा राजनीतिक अनुभव 2019 और 2024 के चुनावों में आया। इससे पहले की राजनीतिक दिशा—चाहे वह अन्ना आंदोलन हो या सांप्रदायिक राजनीति का उभार—Gen X और Millennials ने तय की थी।
Gen Z ने दिखाया कि वे अंधभक्ति में नहीं बहते। उन्होंने लोकतंत्र की प्रक्रिया को समझते हुए सवाल उठाने और बदलाव की मांग करने की शुरुआत की। उनकी डिजिटल अभियानों, जलवायु परिवर्तन, मानसिक स्वास्थ्य और न्यायपूर्ण राजनीति पर सक्रियता इस पीढ़ी की सबसे बड़ी ताक़त है।
# Gen Z का विरासत और जिम्मेदारी
Gen Z को मिली विरासत बहुत उलझी हुई है—बेरोज़गारी, शिक्षा का बाज़ारीकरण, जाति और धर्म पर आधारित ध्रुवीकरण जैसी समस्याएँ। लेकिन उन्होंने शुरुआती संकेतों में ही दिखा दिया कि वे आँख बंद करके किसी एक विचारधारा या नेता के पीछे नहीं भागेंगे।
वे डिजिटल दुनिया में जन्मे हैं, इसलिए सूचना तक उनकी पहुँच और परख क्षमता पुरानी पीढ़ियों से कहीं अधिक है। इसका अर्थ यह है कि Gen Z भविष्य में समाज और राजनीति में संतुलन लाने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
# पीढ़ियों के बीच संतुलन
पुरानी पीढ़ी को यह असुविधा हो सकती है कि बच्चे उनसे तेज़ हैं। लेकिन अनुभव भी समय के साथ बदलता है। जो अनुभव कल कारगर था, वह आज बेकार हो सकता है। असली चुनौती यह है कि नई पीढ़ी को और आगे बढ़ने का अवसर मिले।
अगर बच्चों को केवल अनुशासन और आज्ञापालन में बाँध देंगे, तो वे हमारी गलतियों को ही दुहराएँगे। लेकिन अगर उन्हें खोजने, सवाल करने और नया रचने की आज़ादी देंगे, तो वे समाज को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगे।
हर पीढ़ी पिछली पीढ़ी की सीमाओं को तोड़ती है।
नई पीढ़ी पुरानी गलतियों से सीखकर समाज को नई दिशा देती है।
Gen Z ने डिजिटल युग में जन्म लेकर लोकतंत्र, शिक्षा और न्याय में नई चेतना विकसित की है।
आलोचना के बावजूद नई पीढ़ी मानवता की प्रगति की वाहक है।
जो आज की पीढ़ी को दोषी मानते हैं, वे इतिहास के साथ न्याय नहीं कर रहे।
सच यह है कि नई पीढ़ियाँ हमें पीछे छोड़ने और हमारे सपनों को पूरा करने के लिए ही आती हैं। उनका उद्देश्य केवल सुधार करना ही नहीं, बल्कि समाज को और ऊँचाइयों पर ले जाना है।