बॉम्बे: बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: आधार, पैन या वोटर आईडी नागरिकता का प्रमाण नहीं।
संवाददाता: प्रदीप शुक्ला
बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: आधार, पैन या वोटर आईडी नागरिकता का प्रमाण नहींबॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल आधार कार्ड, पैन कार्ड, या मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) जैसे दस्तावेज होने से कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बन जाता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह फैसला बाबू अब्दुल रऊफ सरदार बनाम महाराष्ट्र राज्य (Babu Abdul Ruf Sardar v. The State of Maharashtra) मामले में दिया है।
यह मामला एक व्यक्ति की जमानत याचिका से जुड़ा था, जिस पर कथित तौर पर बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और जाली दस्तावेजों के आधार पर भारत में रहने का आरोप था। बाबू अब्दुल रऊफ सरदार ने अपनी जमानत याचिका में यह दावा किया था कि वह भारतीय नागरिक है और उसके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और यहां तक कि एक भारतीय पासपोर्ट भी है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस अमित बोरकर की एकल पीठ ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये पहचान पत्र नागरिकता का प्रमाण नहीं हैं और नागरिकता का निर्धारण केवल नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत होता है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आरोपी के दस्तावेजों की प्रामाणिकता की जांच अभी भी चल रही है और इस तरह के संवेदनशील मामले में उसे जमानत देना उचित नहीं होगा।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ये दस्तावेज सिर्फ पहचान या सेवाओं का लाभ उठाने के लिए होते हैं, नागरिकता के निर्णायक सबूत नहीं हैं। जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय नागरिकता का निर्धारण नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत होता है। इस कानून में नागरिकता प्राप्त करने और समाप्त होने के तरीके स्पष्ट रूप से बताए गए हैं।
नागरिकता और पहचान पत्रों में अंतर
आधार कार्ड: इसका मुख्य उद्देश्य एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करना है, जो भारत के किसी भी निवासी के लिए है, भले ही वह नागरिक हो या नहीं। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं, बल्कि निवास का प्रमाण है।
पैन कार्ड: यह एक स्थायी खाता संख्या है, जिसका इस्तेमाल वित्तीय लेन-देन और आयकर के लिए होता है। इसका संबंध व्यक्ति की कर स्थिति से है, न कि नागरिकता से।
मतदाता पहचान पत्र: यह कार्ड व्यक्ति को मतदान का अधिकार देता है। हालांकि, यह मतदाता सूची में पंजीकरण का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश में नागरिकता और मतदाता सूची से जुड़े मुद्दे चर्चा में हैं। सुप्रीम कोर्ट में बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर सुनवाई चल रही है, जहाँ मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए गए हैं। ऐसे में बॉम्बे हाईकोर्ट का यह निर्णय आम जनता के बीच इन दस्तावेजों की वास्तविक स्थिति को लेकर मौजूद भ्रम को दूर करने में सहायक होगा। यह स्पष्ट करता है कि नागरिकता साबित करने के लिए मजबूत और कानूनी रूप से मान्य दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, न कि सिर्फ पहचान पत्र की।
