नई दिल्ली: जनांदोलन की मशाल: जब सड़कें बोलती हैं, तो लोकतंत्र जागता है।
संवाददाता: प्रदीप शुक्ला
जनांदोलन की मशाल: जब सड़कें बोलती हैं, तो लोकतंत्र जागता हैलोहिया ने कहा था, "जब सड़कें सूनी होती हैं, तो संसद आवारा हो जाती है।" आज यह कथन एक कड़वी सच्चाई बनकर हमारे सामने खड़ा है। जब लोकतंत्र की आवाज को संसद में दबाया जाने लगा, तब जनता ने और उसके चुने हुए प्रतिनिधियों ने मिलकर सड़कों पर उतरने का फैसला किया। यह कोई सामान्य विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि "वोट चोर गद्दी छोड़" का वह नारा है जो हर भारतीय की अंतरात्मा से निकला है।
यह आंदोलन सिर्फ सांसदों का नहीं है, यह उस आम नागरिक का आंदोलन है जिसने अपने वोट की पवित्रता को बचाने के लिए हिम्मत जुटाई है। यह हमें 2011 के उस दौर की याद दिलाता है, जब भ्रष्टाचार के खिलाफ जनाक्रोश उमड़ा था। लेकिन, उस आंदोलन का इस्तेमाल कुछ ताकतों ने सत्ता परिवर्तन के लिए किया, और बाद में वे ही वादे और भ्रष्टाचार विरोधी कानून लापता हो गए। आज का आंदोलन उससे अलग है, क्योंकि यह सीधे लोकतंत्र की नींव पर हमला करने वाले मुद्दे को उठा रहा है।
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पिछले कुछ सालों में, सरकार ने विभाजनकारी नीतियों और नफ़रत की राजनीति को बढ़ावा दिया। संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखकर, नाम बदलने से लेकर गंगा-जमुनी तहज़ीब को तोड़ने की कोशिश हुई। इन सब के पीछे वोट की राजनीति थी, लेकिन अब यह खुलासा हो रहा है कि इसके साथ-साथ वोट चोरी की भी गहरी साजिश चल रही थी। यह वह सच्चाई है, जिसे राहुल गांधी ने प्रमाणों के साथ जनता के सामने रखा है, और इसी ने दबी हुई आवाजों को एक नई ताकत दी है।
आज जब हर तरफ से वोट चोरी की शिकायतें आ रही हैं, तो यह किसी बड़े जनांदोलन की शुरुआत प्रतीत हो रही है। लोगों को एक निडर नेता मिल गया है, और इसी निडरता ने उन्हें भी सड़कों पर उतरने का साहस दिया है। अब तक जो लोग डर के साए में जी रहे थे, उन्हें एक नई आवाज मिली है।
सत्ता के इस संकटकाल में सरकार एक के बाद एक आरोपों से घिरती जा रही है, और ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि पूर्व चुनाव आयुक्त राजीव कुमार देश छोड़कर माल्टा की नागरिकता ले लिए हैं। यह सब एक बड़ी कहानी का हिस्सा है, जिसे हमें समझना होगा।
लोहिया ने हमें सिखाया था कि जनता की ताकत अकूत होती है। यह सरकारें गिरा भी सकती है और बना भी सकती है। राहुल गांधी का "डरो मत" का नारा केवल एक राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक के लिए एक आदर्श वाक्य है। जब हम डरना छोड़ देंगे, तभी हम अपने लोकतंत्र और अधिकारों की रक्षा कर पाएंगे। यह समय है कि हम सब मिलकर इस जनांदोलन में शामिल हों और यह सुनिश्चित करें कि वोट चोरों की इस गैंग को जवाब देना होगा।
