भारत में पलायन: एक राष्ट्रीय घटना, न कि बिहारी पहचान की उपाधि

 लखनऊ डेस्क प्प्रदीप शुक्ला 


भारत में पलायन: एक राष्ट्रीय घटना, न कि बिहारी पहचान की उपाधि

1. आँकड़े क्या कहते हैं? — बिहार नहीं, उत्तर प्रदेश पलायन में शीर्ष पर

आपके द्वारा साझा किए गए डाटा के अनुसार:

* उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक पलायन होता है—दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा इसकी प्रमुख मंज़िलें हैं।

* कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, झारखंड—ये सभी राज्य बड़े पैमाने पर पलायन करते हैं।

* कई राज्यों में प्रतिशत-आधारित पलायन बिहार से भी अधिक है—जैसे केरल और पंजाब।

इसका सीधा अर्थ है: "पलायन एक आर्थिक-सामाजिक घटना है, किसी एक राज्य की विशिष्ट नियति नहीं।"

2. बिहार = पलायन? यह मिथक क्यों गढ़ा गया?

यह एक दिलचस्प सामाजिक-राजनीतिक मनोविज्ञान है।

🔹 (1) ऐतिहासिक नैरेटिव:

चूंकि बिहार लंबे समय तक गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन के प्रतीकों में रखा गया, इसलिए “बिहारी = प्रवासी मजदूर” का क्लिशे मीडिया में बैठ गया।

🔹 (2) दृश्यता (Visibility):

उत्तर भारतीय प्रवासी मजदूरों का चेहरा, पहनावा और बोली अधिक पहचानने योग्य है—इससे लगता है कि केवल वही प्रवासी हैं। जबकि केरल, पंजाब या तमिलनाडु से प्रवासी अक्सर विदेश जाते हैं—इसका दृश्य मीडिया में अलग दिखता है।

🔹 (3) राजनीतिक सुविधा:

बिहारी का मज़ाक उड़ाना सांस्कृतिक रूप से “स्वीकार्य” बना दिया गया। उत्तर भारतीय (UP + Bihar) के भीतर भी बिहार पर अधिक तंज़ किया जाता है।

🔹 (4) मीडिया प्रोपेगेंडा:

चुनाव या सामाजिक बहसों में विशिष्ट नैरेटिव चलाना आसान हो जाता है—इस बार बिहार चुनाव परिणाम के बाद वही चक्र सक्रिय हुआ।

3. असलियत क्या है?—हर राज्य से पलायन होता है

भारत दुनिया की सबसे बड़ी प्रवासी आबादी वाले देशों में से एक है।

कुछ उदाहरण:

 केरल: आबादी का 15–20% विदेश में

 पंजाब: NRI पलायन + घरेलू पलायन दोनों

 उत्तर प्रदेश: सबसे अधिक अंतर-राज्यीय श्रमिक

 महाराष्ट्र: IT, मेडिकल, फाइनेंस सेक्टर में विदेश पलायन

 तमिलनाडु: खाड़ी देशों में भारी पैमाने पर पलायन

 ओडिशा: निर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक प्रवासी मजदूरों में से एक

यह सब अर्थव्यवस्था का स्वाभाविक हिस्सा है।

4. मनोवैज्ञानिक सत्य — मनुष्य हमेशा पलायन करता है

मानव इतिहास में:

 किसान बेहतर मिट्टी की तलाश में

 कारीगर बेहतर बाज़ार की तलाश में

 सैनिक बेहतर अवसर की तलाश में

 छात्र बेहतर शिक्षा की तलाश में

 व्यापारी बड़े व्यापार की तलाश में

"पलायन एक दोष नहीं—विकास की प्रवृत्ति है।"

5. केवल बिहारी को पलायन का चेहरा बनाना—एक खतरनाक सामाजिक स्टीरियोटाइप

 यह सामाजिक भेदभाव को बढ़ाता है

 यह बिहार की युवा आबादी का मनोबल गिराता है

 यह राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है

 यह तथ्य-विरोधी है

बिहार एक राज्य है, “पलायन” उसकी पहचान नहीं।

6. असली बहस क्या होनी चाहिए?

भारत में पलायन पर सवाल यह नहीं होना चाहिए:

कौन पलायन करता है?

बल्कि यह होना चाहिए:

 क्यों पलायन करता है?

 नौकरी

 शिक्षा

 असमान अवसर

 अविकसित क्षेत्र

 बेहतर वेतन

जीवन की गुणवत्ता

यदि पलायन रुकना है, तो राज्यों को अवसर बनाना होंगे— मजदूर को गाली देकर नहीं, सिस्टम को बदलकर।

पलायन बिहार की नियति नहीं, भारत की संरचना है। यह देश की आर्थिक गतिशीलता का संकेत है— न कि किसी समाज पर तंज़ का कारण।

"डेटा झूठ नहीं बोलता—स्टीरियोटाइप बोलते हैं।"