नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर ऐतिहासिक दिशा-निर्देश जारी किए: सीजेआई बी. आर. गवई ने व्यक्त की संतुष्टि
लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर ऐतिहासिक दिशा-निर्देश जारी किए: सीजेआई बी. आर. गवई ने व्यक्त की संतुष्टि
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने बुलडोजर कार्रवाई पर दिए गए ऐतिहासिक फैसले के बारे में कहा कि इस निर्णय से उन्हें “बहुत संतुष्टि” मिली है। सीजेआई गवई ने इस फैसले को मानवीय दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ बताते हुए इसे न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण क्षण करार दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के सम्मान समारोह में अपने भाषण में बताया कि जस्टिस के. वी. विश्वनाथन के साथ लगभग छह महीने तक इस मामले पर गहन चर्चा के बाद यह फैसला आया। उन्होंने कहा : “मुझे लगता है कि बुलडोजर फैसला हम दोनों के लिए बेहद संतोषजनक था। इसके मूल में मानवीय समस्याएँ थीं। कुछ परिवारों को केवल इसलिए परेशान किया जा रहा था क्योंकि वे उस परिवार का हिस्सा थे, जिसका कोई सदस्य अपराधी था या कथित तौर पर अपराधी था।”
सीजेआई गवई ने यह भी स्पष्ट किया कि फैसले को लिखने का श्रेय न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन को भी जाता है।
# बुलडोजर दिशा-निर्देश का सार
13 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी के घर या संपत्ति को केवल इसलिए नहीं गिराया जा सकता कि उसका कोई सदस्य किसी अपराध में संलिप्त है।
विध्वंस से पहले उचित नोटिस और कम से कम 15 दिनों की मोहलत देना अनिवार्य होगा।
यह आदेश पूरे देश में लागू होगा और बुलडोजर कार्रवाई को मानवाधिकार और मूल अधिकार के दृष्टिकोण से नियंत्रित करता है।
यह फैसला जमीयत उलमा ए हिंद और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया, और सुप्रीम कोर्ट ने केस का नाम बदलकर “ध्वस्तीकरण” कर दिया। कोर्ट ने इसे मूल अधिकारों से जुड़ा मामला बताया।
# खजुराहो मूर्ति मामले में सख्त टिप्पणी
सीजेआई गवई ने 16 सितंबर 2025 को मध्यप्रदेश के खजुराहो में जावेरी मंदिर की भगवाण विष्णु प्रतिमा को ठीक करने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ “पब्लिसिटी स्टंट” है। उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा पेश तस्वीर पर टिप्पणी करते हुए कहा : “अगर आप भगवान विष्णु के बड़े भक्त हैं, तो प्रार्थना करें, ध्यान लगाएँ। असली जिम्मेदारी पुरातत्व सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (ASI) की है।”
सीजेआई गवई का यह रवैया दर्शाता है कि न्यायपालिका मानव अधिकार और प्रासंगिकता के आधार पर मामलों को गंभीरता से परखती है, बजाय कि केवल दर्शनीयता और प्रचार के आधार पर निर्णय लेने के।