“सत्रह साल की सत्ता और अब भी कांग्रेस ही दोषी?”
लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला
“सत्रह साल की सत्ता और अब भी कांग्रेस ही दोषी?”
भारतीय राजनीति का यह सबसे अजीब और विडंबनापूर्ण दृश्य है कि भाजपा, जिसने कुल 17 साल तक इस देश पर शासन किया—अटल बिहारी वाजपेयी के 6 साल और नरेंद्र मोदी के 11 साल—आज भी अपनी हर असफलता का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ रही है। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक जनता को “पिछली सरकार” का डर दिखाकर वर्तमान की विफलताओं पर पर्दा डाला जाएगा?
# सत्ता का लंबा कार्यकाल—फिर भी बहाने?
लोकतंत्र में जनता हर सरकार को सीमित समय के लिए मौका देती है। लेकिन जब कोई दल लगातार लंबे समय तक सत्ता में रहता है, तो बहाने नहीं, बल्कि परिणाम अपेक्षित होते हैं।
भाजपा ने 2014 में “अच्छे दिन” का वादा किया था। 2025 आते-आते 11 साल बीत चुके हैं, मगर अच्छे दिन अब भी जनता की ज़िंदगी से कोसों दूर हैं।
बेरोज़गारी ऐतिहासिक स्तर पर है,
महँगाई आम आदमी की कमर तोड़ चुकी है,
किसानों की आत्महत्या अब भी जारी है,
शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत बद से बदतर है।
तो फिर सवाल यह है कि 17 साल बाद भी अगर कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, तो भाजपा का अपना एजेंडा और विज़न आखिर कहाँ है?
# कांग्रेस बनाम भाजपा: जिम्मेदारी से भागना
कांग्रेस की गलतियों और भ्रष्टाचार पर कोई विवाद नहीं। जनता ने उन्हीं कारणों से कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया। लेकिन भाजपा का एजेंडा क्या सिर्फ़ “कांग्रेस को कोसने” तक ही सीमित है?
यदि कांग्रेस इतनी ही असफल थी, तो भाजपा को 17 साल में उन असफलताओं को सुधार कर दिखाना चाहिए था।
लेकिन हक़ीक़त यह है कि भाजपा भी अब उसी दलदल में फँसी है—जहाँ वोट के लिए जनता से वादे किए जाते हैं, सत्ता में आने के बाद जनता को भूला दिया जाता है।
# मीडिया और प्रोपेगेंडा की आड़
भाजपा ने सत्ता को टिकाए रखने के लिए मीडिया और प्रोपेगेंडा का जबरदस्त इस्तेमाल किया है।
हर नाकामी पर मीडिया में कांग्रेस का भूत खड़ा कर दिया जाता है।
आलोचकों को “देशद्रोही” और “एंटी-नेशनल” कहकर दबा दिया जाता है।
असली मुद्दे—रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों की दुर्दशा—चुपचाप टीवी स्क्रीन से गायब कर दिए जाते हैं।
जनता को भावनाओं के जाल में उलझाकर असल सवालों से भटकाना ही भाजपा की सबसे बड़ी रणनीति बन चुकी है।
# लोकतांत्रिक जवाबदेही कहाँ है?
लोकतंत्र में सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जवाबदेही होती है। लेकिन भाजपा का पूरा मॉडल “जिम्मेदारी से बचो, दोष कांग्रेस पर मढ़ो” पर टिका है।
अगर आज बेरोज़गारी है, तो कांग्रेस कारण है।
अगर आज महँगाई है, तो कांग्रेस दोषी है।
अगर विदेश नीति फेल है, तो कांग्रेस जिम्मेदार है।
तो फिर सवाल यह उठता है कि मोदी सरकार आखिर किसके लिए सत्ता में है—जनता के लिए या सिर्फ़ कांग्रेस के नाम पर वोट बटोरने के लिए?
# जनता का भ्रम टूट रहा है
17 साल का लंबा समय किसी भी दल के लिए अपनी असलियत उजागर कर देने के लिए काफी होता है। भाजपा अब उस मुकाम पर पहुँच चुकी है, जहाँ “कांग्रेस दोषी है” का राग जनता को हजम नहीं हो रहा। जनता अब पूछ रही है:
हमारे रोज़गार का क्या हुआ?
हमारे बच्चों की पढ़ाई और भविष्य का क्या हुआ?
हमारी खेती और किसानों की ज़िंदगी क्यों नहीं सुधरी?
हमारी कमाई क्यों महँगाई में घुल रही है?
भाजपा के पास अब बहाने नहीं, जवाब देने का वक्त है। कांग्रेस पर आरोप लगाकर उसने 17 साल निकाल दिए, लेकिन आने वाले सालों में यह रणनीति नहीं चलेगी। लोकतंत्र में जनता अंततः काम देखकर ही फैसला करती है।
भाजपा को समझना होगा कि जनता अब इतिहास नहीं, वर्तमान का हिसाब मांग रही है।
अगर सरकार ने असफलताओं को स्वीकार कर ईमानदारी से सुधार की कोशिश नहीं की, तो वह दिन दूर नहीं जब जनता भाजपा को भी उसी तरह सत्ता से बाहर कर देगी, जैसे कभी कांग्रेस को किया था।