जसवंतनगर/इटावा: प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल संत “खटखटा बाबा” के आश्रम मार्ग पर अवैध कब्जा

 चीफ एडिटर: एम.एस वर्मा, 6397329270

मनोज कुमार, 7409103606



जसवंतनगर में प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल संत “खटखटा बाबा” के आश्रम मार्ग पर अवैध कब्जा, ऐतिहासिक तालाब गंदगी से पटा स्थानीय भक्तों ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व नगर पालिका व पुलिस प्रशासन से रास्ता खुलवाने की मांग की है। 

 इटावा में अंग्रेजी हुकूमत में तैनात मजिस्ट्रेट में नौकर की कहानी सुनकर ऐसा बदलाव आया कि वह सुबह अपनी नौकरी छोड़कर जंगल मे जाकर तपस्या करने चले गए और सिद्धि प्राप्त की उनके चमत्कारों की चर्चा सुनकर कश्मीर से राजा हरी सिंह रानी के साथ स्पेशल ट्रेन से जसवन्तनगर आये और खटखटा बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। आज उसी आश्रम का अस्तित्व खतरे में है आश्रम के रास्ते पर दुकानदारों ने अवैध कब्जा जमा लिया है। वही ऐतिहासिक तालाब में कस्बे की नालियों का गंदा पानी तालाब में गिरता है। इसके अलावा मंदिर परिसर में बने प्राचीन नक्काशी के स्मारक भी अपनी भव्यता खोते जा रहे है। 

हम चाहे कितना भी मान सम्मान, जमीन -जायदाद, दौलत और शौहरत इस संसार में हासिल कर लें... फिर भी यहाँ खाली हाथ आये हैं, और खाली हाथ जाना है।".. शायद यही बात उस एक डिप्टी कलक्टर के जेहन में आयी होगी, जो उसे दर दर खट-खट कर और लोगों को अध्यात्म का सन्देश देने वाला संत देश भर में प्रसिद्ध “खटखटा बाबा" बना गया। 19वीं शताब्दी के प्रारंभ यानि सन् 1905 में मिस्टर सप्रू इटावा के डिप्टी कलक्टर बन कर आये थे। ईमानदार होने के साथ-साथ अंग्रेज सरकार की योजनाओं और जन अपेक्षाओं को पूरा करने के प्रति भी वह काफी प्रतिबद्ध थे।

रोज की तरह दिन भर के सरकारी कामकाज, दौरे और कोर्ट निबटाकर सप्रू साहब एक दिन रात 10 बजे अपने बिस्तर पर पहुंचे और उनका सेवक मनोहर नाई पैर दबाने लगा। सप्रू साहब बोले.. 'मनोहर कोई कहानी सुनाओ। आये दिनों की तरह वह साहब को कहानी सुनाने लगा। सेवक मनोहर नाई की यह कहानी पूरी हुयी ही थी कि सप्रू साहब उसी समय बिस्तर से उठ खड़े हुए और बाहर चल दिए। गेट खोल अपने बंगले के बाहर खड़े इमली के पेड़ के नीचे जा लेटे। सेवक पाँव पड़ने लगा 'हुजूर मेरे से क्या गुस्ताखी हो गयी ।

सप्रू ने उसके सर पर हाथ फेरते कहा कि तुझसे कोई गुस्ताखी नही हुयी है, तेरे ने तो मेरी आँखें खोल दी है अब मैं यह अफसरी नही करूंगा। सरकारी ऐशोआराम अब नही भोगने वाला रहूंगा। ईश्वर के घर क्या क्या जबाब दूंगा। मैं अब इस्तीफा देकर फ़क़ीरी करूंगा। सबेरा होते ही इटावा शहर में चर्चा फ़ैल गयी कि डिप्टी कलक्टर फ़क़ीर हो गए हैं। तत्कालीन कलक्टर, जो अंग्रेज थे, सप्रू के पास पहुंच पहले उन्हें बहुत समझाने का प्रयास किया और बाद में मजाक बनाते कहा तू फकीरी करेगा ? यह सुन सप्रू उठे और यमुना की ओर चल दिए। उनकी पत्नी बच्चों ने भी रोते बिलखते बहुत रोकने की कोशिश की। हाथों में लंबी लाठी और कमंडल, पैरों में लकड़ी की खड़ाऊ, शरीर पर लंगौटी और मात्र एक गमछा डाले फ़क़ीर बने सप्रू साहब सड़कों पर अलख सुबह निकलते।

 उनके पैरों की खड़ाऊँ और सोटे की खट खट गलियों में गूंजती लोग उन्हें खटखटा बाबा नाम से पुकारने लगे। मिली भिक्षा से पहले पशु पक्षियों का पेट भरते, फिर बीहड़ में दिन भर अंतर्ध्यान रह, तपस्या लीन रहते। देर रात्रि तक ग्रंथों का अध्ययन करते। थोड़े ही समय में उनकी ख्याति दूर देश तक फैल गयी। जहां उनके भक्तों का जमावड़ा भी लगने लगा। बीहड़ के बियावान में वह खुले आकाश के नीचे लेटते। सर्दी, गर्मी, बरसात उनके शरीर की सहचरी बन गयी थी। 

Crimediaries9 the real crime stories on YouTube

Plzss subscribe the channel for more videos

जसवंतनगर के रहीस लालजी साहब व यमुना बीहड़ के गांवों के सैकड़ो लोग बाबा खटखटा के प्रवचनों को सुनने प्रायः इटावा पहुँचने लगे। बाबा को रहीश लालजी साहब अनुनय विनय कर जसवंतनगर अपने तालाब किनारे स्थित शिव मन्दिर के बाग़ में इटावा से लाये और उनके सोने के लिए खुले आकाश नीचे पत्थर का चबूतरा बनवाया। बताते हैं कि बाबा को जसवंतनगर ठीक उस तरह रास आया, जैसे इटावा का यमुना किनारा। एक बार बाबा की ख्याति कश्मीर तक पहुंची तो वहां के राजा हरी सिंह स्पेशल ट्रेन से जसवंतनगर बाबा का आशीर्वाद लेने सपरिवार आये थे। शिरडी के साईं बाबा की तरह समसामयिक घटनाओं का पूर्वाभास और घट रहे वृत्तांतों पर उनका कभी खिलखिलाकर हंसना, चीखना चिल्लाना और हवा में टोकना आदि भाव यकायक उनके चेहरे पर देखे जाते थे और पता करने पर वास्तव में ऐसे वृत्तांत कहीं दूर घटित होते मिलते थे।



झाड़ फूंक जैसी उनमे कोई वृत्ति नही थी, मगर उनके द्वारा सर पर हाथ रखने भर से लोग ठीक हो जाते थे। जसवंतनगर में खटखटा बाबा आश्रम को भक्त कुटिया कहकर और बाबा को गुरुदेव कह संबोधित करते हैं। इन आश्रमों पर भक्तगण प्रत्येक गुरूवार, बसंत पंचमी, गुरुपूर्णिमा, रक्षा बन्धन तथा दीपावली आदि पर आकर माथा टेकते व सूखे मेवों का प्रसाद चढ़ाकर मन्नते मांगते हैं। प्रतिवर्ष खटखटा बाबा के जन्मदिन पर पालकी यात्रा भी निकाली जाती है। जसवंतनगर की कुटिया पर वर्षों से सेवारत महंत मोहन गिरी जी महाराज का कहना है कि बाबा की कुटिया पर आने वाले हजारों लोगों में शायद ही किसी की कोई मुराद कभी खाली जाती होगी। यहां बटने वाली प्रसादी भी कभी खत्म नही होती। जसवंतनगर के तालाब मन्दिर पर बाबा की जो कुटिया है, उसमे बाबा की खड़ाऊ, कमंडल और कुछ मिटटी के पात्र और बाबा संग प्रसिद्धनाथ जी की मूर्ति विराजमान है। 


मंदिर के प्रांगण में प्राचीन ऐतिहासिक प्राचीन स्मारक छतरी भवन व शिव मंदिर भी बने हुए हैं जो इस समय रखरखाव के भाव में जीर्ण - शीर्ण अवस्था में है। जिन्हें सरकार को संरक्षित करने की आवश्यकता है खटखटा बाबा के भक्तों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है के ऐतिहासिक खटखटा बाबा मंदिर व प्राचीन ऐतिहासिक शिव मंदिर परिसर के स्मारकों का जीर्णोद्धार कराने का आदेश जारी करें। ताकि इटावा जिले की प्राचीन धरोहर संरक्षित रह सके। जिस ऐतिहासिक तालाब में खटखटा बाबा स्नान करते थे उसमें गंदगी का अंबार लगा है। नालियों का पानी तालाब में आ रहा है कूड़ा कचड़ा भी तालाब में डाला जा रहा है। मंदिर के रास्ते पर दुकानदारों ने अवैध कब्जा कर रखा है। वह अपनी दुकानों के आगे सामान लगाकर रास्ते को अवरुद्ध किये हुए है। जिससे भक्त व उनकी गाड़ी मंदिर तक नही आ पाती। सब्जी मंडी में दुकानदारों ने अपनी दुकानों के आगे फड़ लगाकर अवैध कब्जा कर रखा है। मंदिर आने जाने दो रास्ते है और दोनों। रास्ते पूरी तरह अवरुद्ध है। इसकी शिकायत भी कई बात पुलिस प्रशासन से की गई लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही हुई। 


👉 शिकायत के बाद भी नही हटाया गया अवैध कब्जा 

खटखटा बाबा के भक्तों द्वारा कई बार पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को लिखित प्रार्थना पत्र देकर मंदिर आने जाने वालों के लिए रास्ते को खाली कराए जाने के लिए मांग की। लेकिन नगर पालिका के कार्यालय के सामने मुख्य गेट से मंदिर तक दुकानदारों ने पूरे रास्ते को जाम कर रखा है दुकानदार अपनी दुकान के आगे सामान लगाकर आवागमन के रास्ते पर कब्जा किए हुए हैं दूसरे रास्ते पर भी दुकानदारों का अवैध कब्जा है। पैदल भक्त भी बड़ी मुश्किल से मंदिर पहुंच पाता है इस संबंध में कई बार शिकायतें की गई लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साफ आदेश है कि अवैध कब्जा करने वालों पर कार्रवाई की जाए। लेकिन जसवंत नगर में एक प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर के रास्ते पर अवैध कब्जा हटाने की पुलिस प्रशासन हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहा है यह सोचने की बात है।

क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जसवंत नगर के पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को अलग आदेशित करना पड़ेगा तभी आम रास्ता खाली कराया जाएगा।

बाइट पुजारी महाराज

बाइट वरिष्ठ सभासद राजीव यादव