एमसीबी/चिरमिरी: 75 साल की आज़ादी, करोड़ों की योजनाएं – फिर भी न्यू टिकरापारा–गोदरीपारा (वार्ड 31) प्यासा और अंधेरे में डूबा”।

संवाददाता: विनोद कुमार पांडे 


“75 साल की आज़ादी, करोड़ों की योजनाएं – फिर भी न्यू टिकरापारा–गोदरीपारा (वार्ड 31) प्यासा और अंधेरे में डूबा” न्यू टिकरापारा गोदरी पारा

एमसीबी/चिरमिरी नगर निगम क्षेत्र का वार्ड क्रमांक 31 – न्यू टिकरापारा और गोदरीपारा – आज भी पानी और रोशनी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यह विडंबना ही है कि आज़ादी के 75 साल बीत गए, सरकारें बदलीं, चेहरे बदले, झंडा बदला… मगर वार्ड 31 की तस्वीर जस की तस बनी हुई है।

यह वही इलाका है जहां बगल में ही पूर्व विधायक और पूर्व महापौर का घर है। कांग्रेस से यहां दो बार पार्षद चुने गए, जनता ने भरोसा दिखाया, लेकिन वार्ड की हालत में सुधार नहीं हुआ। भाजपा सरकार के मंत्री तक यहां दौरे पर आए, लाइट और पानी की व्यवस्था का आश्वासन दिया… मगर नतीजा? पाइपलाइन बिछाई तो गई मगर आज तक उसमें पानी आया ही नहीं और सूखी पाइपलाइन, नगर निगम से टैंकर से पानी की पूर्ति की तो जाती जाती है वह भी भगवान भरोसे और वार्ड की गली और मोहल्ले में अंधेरी गलियां। और घरों में कई घंटे तक लाइट काट दी जाती है भगवान भरोसे रहते हैं वार्ड वासी जबकि यह बहुत छोटी-मोटी मूलभूत सुविधा है जो की एक जनप्रतिनिधि की सबसे पहली प्राथमिकता देने की बनती है जिसे पूरा अब तक नहीं किया गया पेयजल और बिजली व्यवस्था की पूर्ति करने में असमर्थ हैं यहां के जनप्रतिनिधि पार्षद महापौर पर. जमकर वार्ड की समस्या को लेकर भड़की वाड की महिलाएं और उतरा जमकर 

  गुस्सा साफ झलकता है। उनका कहना है –

“चुनाव आते ही नेता हाथ जोड़कर दस-दस चक्कर काटते हैं, वोट की भीख मांगते हैं, मगर जीतने के बाद हमारी सुध लेने कोई नहीं आता। साल बदले, सरकारें बदलीं, मगर हमारी तस्वीर नहीं बदली।”

20 साल से यहां स्थायी पेयजल व्यवस्था नहीं है। कभी टैंकर हफ्ते में एक बार आता है, कभी 10–15 दिन तक गायब रहता है। मजबूरी में महिलाएं कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने पर मजबूर हैं। बारिश के पानी से नहाना-धोना और निस्तार करना यहां के लोगों की मजबूरी बन चुका है। पाइपलाइन बिछाई तो गई, लेकिन उसमें आज तक पानी नहीं आया।

यही नहीं, वार्ड की रोशनी भी एसईसीएल के भरोसे है। बिजली कटे तो 4–5 घंटे तक अंधेरा पसरा रहता है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सफाई और स्वच्छता की हालत यह है कि गली-गली झाड़ियां और गंदगी फैली है, मगर नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी कुर्सी पर मौन बैठे तनख्वाह तो ले रहे हैं लेकिन काम वार्ड तक नहीं पहुंच

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वार्डवासियों ने सवाल खड़े किए हैं –

आखिर करोड़ों की योजनाओं का पैसा कहां गया?

क्यों आज तक पाइपलाइन में पानी नहीं आया?

क्यों बच्चों को अंधेरे में पढ़ने की मजबूरी है?

क्यों सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे छोड़ दी गई है?

स्थानीय लोगों का साफ आरोप है – कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ने करोड़ों खर्च दिखाए लेकिन वार्ड की तस्वीर बदलने में नाकाम रहे। यही नहीं, मनेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र से इस इलाके ने चार बार स्थानीय विधायक दिए – तीन बार भाजपा और एक बार कांग्रेस। फिर भी इतने वर्षों बाद भी न्यू टिकरापारा–गोदरीपारा की हालत जस की तस है।

वार्डवासियों ने कहा –

“नेताओं ने वादे किए, टैंकरों से भरोसा दिलाया, मगर नतीजा हर बार वही निकला – हम प्यासे रह गए, अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। वोट के समय करोड़ों का खेल और वादों की झड़ी होती है, मगर चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि गायब हो जाते हैं। यह हमारे साथ सरासर धोखा है।”

 यह खबर न केवल नगर निगम और पार्षद–महापौर की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि स्थानीय विधायकों और मंत्रियों की संवेदनहीनता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है। वार्ड 31 की व्यथा साफ है – “पानी और रोशनी जैसी छोटी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी यहां के लोग 75 साल बाद तरस रहे हैं।”