अयोध्या: राम मंदिर बना देश का चौथा सबसे बड़ा मंदिर, सालाना आय 327 करोड़ रुपये।
लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला
राम मंदिर बना देश का चौथा सबसे बड़ा मंदिर, सालाना आय 327 करोड़ रुपये
रोजाना 70-80 हजार श्रद्धालु कर रहे दर्शन
अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट की आय वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है। बीते वित्तीय वर्ष में ट्रस्ट को कुल 327 करोड़ रुपये की आय हुई। इसमें से 153 करोड़ रुपये दान के रूप में और 174 करोड़ रुपये ब्याज से प्राप्त हुए। इस आय के साथ ही राम मंदिर देश का चौथा सबसे बड़ा मंदिर बन गया है।
दान देने वालों में न केवल देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालु शामिल हैं, बल्कि विदेशों से आने वाले भक्त भी बढ़-चढ़कर योगदान कर रहे हैं। ट्रस्ट सूत्रों के अनुसार, मंदिर को नकदी, चेक, आरटीजीएस, ऑनलाइन माध्यमों के साथ-साथ सोना और चांदी का दान भी निरंतर मिल रहा है।
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या
अयोध्या में राम मंदिर दर्शन के लिए रोजाना 70 से 80 हजार श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। त्योहारों, पर्वों और सप्ताहांत (वीकेंड) पर यह संख्या दो से तीन गुना तक बढ़ जाती है। भीड़ के अनुपात में दान की रफ्तार भी तेजी से बढ़ रही है।
आस्था और पर्यटन दोनों का केंद्र
ट्रस्ट का मानना है कि जैसे-जैसे मंदिर निर्माण कार्य आगे बढ़ेगा और श्रद्धालुओं को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी, वैसे-वैसे दान की गति और तेज होगी। मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन का प्रमुख गंतव्य बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
राममंदिर की तुलना
राममंदिर की आय वित्तीय वर्ष 2024-25 में ₹327 करोड़, जिसमें दान ₹153 करोड़ और ब्याज आदि से अन्य स्रोतों से बाकी।
इन्हें तुलना में देखें:
तिरुपति मंदिर की आय (~₹1,400-1,600 करोड़) राममंदिर से बहुत बड़ी है (लगभग पाँच से छह गुना अधिक)।
वैष्णो देवी और स्वर्ण मंदिर की आय लगभग ₹500 करोड़ है, जो राममंदिर की आय से करीब 50-70% अधिक है।
शिर्डी का मंदिर (~₹400 करोड़) भी राममंदिर से कुछ अधिक है।
सिद्धिविनायक और काशी विश्वनाथ जैसे मंदिरों की आय राममंदिर से कम है (₹100-₹130 करोड़ के आसपास), इससे दिखता है कि राममंदिर अपनी आय के मामले में कई प्रमुख मंदिरों को पीछे छोड़े है।
राम मंदिर की बढ़ती आय और श्रद्धालुओं की संख्या इस बात का संकेत है कि यह स्थल आने वाले समय में न केवल भारत की आस्था का केंद्र होगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन से स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।