भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की रफ्तार तेज़: BEML को ₹1,888 करोड़ का LHB कोच ऑर्डर।

संवाददाता: प्रदीप शुक्ला


भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की रफ्तार तेज़: BEML को ₹1,888 करोड़ का LHB कोच ऑर्डर

देश में यात्री रेल सेवाओं को सुरक्षित, आरामदायक और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए BEML लिमिटेड को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) से ₹1,888 करोड़ का महत्वपूर्ण ऑर्डर मिला है। इसके तहत कंपनी को 600 अत्याधुनिक LHB (Linke Hofmann Busch) कोच तैयार करने हैं। यह बड़ा अनुबंध BEML को लगभग पाँच वर्ष बाद प्राप्त हुआ है, और अगले 15 महीनों में सभी कोच आपूर्ति करने का लक्ष्य तय किया गया है।

 परियोजना का महत्व

यह ऑर्डर भारतीय रेलवे के लिए सिर्फ एक तकनीकी उन्नयन नहीं, बल्कि यात्री सुरक्षा, आराम और पर्यावरणीय जिम्मेदारी की दिशा में एक निर्णायक कदम है। पुराने कोचों की जगह लेने वाले ये LHB कोच उच्च गति, बेहतर स्थायित्व और आधुनिक सुरक्षा मानकों के लिए जाने जाते हैं।


मुख्य विशेषताएँ:

सुरक्षा पर विशेष जोर – प्रत्येक कोच में CCTV सर्विलांस, इमरजेंसी अलार्म स्विच और बिजली कटने की स्थिति में 10 घंटे का बैटरी बैकअप (लाइट व पंखों के लिए) उपलब्ध होगा।

 आपातकालीन सुविधाएँ – दुर्घटना या आपात स्थिति में अपने आप चालू होने वाली इमरजेंसी लाइटिंग प्रणाली।

 यात्री सुविधा – मॉड्यूलर इंटीरियर, बेहतर सौंदर्य और झटके कम करने वाली डीकप्लिंग रबर टेक्नोलॉजी।

 स्वच्छता और पर्यावरण – दबावयुक्त फ्लशिंग सिस्टम वाले बायो-टॉयलेट्स, जो स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण में सहायक होंगे।

सुविधाजनक यात्रा – मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स, आरामदायक सीटिंग और शोर में कमी लाने वाली डिजाइन।


BEML और भारतीय रेलवे की रणनीतिक प्रगति

यह अनुबंध Make in India मिशन के तहत देश में कोच निर्माण क्षमता और आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा। LHB कोचों के उपयोग से भारतीय रेलवे न केवल यात्री अनुभव को बेहतर बनाएगा, बल्कि उच्च गति ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए आधार भी तैयार करेगा।

BEML के लिए यह अवसर उत्पादन तकनीक में नवाचार, समयबद्ध आपूर्ति और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी गुणवत्ता दिखाने का भी मंच है।

यह परियोजना स्पष्ट संकेत है कि भारतीय रेलवे अब पारंपरिक संरचनाओं से निकलकर सुरक्षा, सुविधा और सतत विकास की राह पर तेज़ी से बढ़ रहा है। अगर निर्धारित समय में 600 LHB कोचों की आपूर्ति हो जाती है, तो यह न केवल रेलवे के लिए, बल्कि देश के औद्योगिक कौशल और तकनीकी क्षमता के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगा।

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