इटावा/जसवंतनगर: इंसानियत ही राष्ट्र की असली बुनियाद: SDM जसवंतनगर
चीफ एडिटर: एम.एस वर्मा, 6397329270
मनोज कुमार, 7409103606
इंसानियत ही राष्ट्र की असली बुनियाद: SDM जसवंतनगरआज जब हमारा देश विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, तब यह आवश्यक है कि हम उन मूलभूत सिद्धांतों पर ध्यान दें, जो किसी भी राष्ट्र को सही मायने में महान बनाते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज की राजनीति में, धर्म और जनसंख्या के मुद्दों को उछालकर लोगों का ध्यान वास्तविक समस्याओं से भटकाने की एक खतरनाक प्रवृत्ति चल रही है। यह न केवल समाज में विभाजन पैदा करती है, बल्कि हमारी सामूहिक प्रगति को भी रोकती है।
राष्ट्र और धर्म: एक स्पष्ट विभाजन
धर्म एक व्यक्तिगत आस्था है, जो हमारे भीतर की नैतिकता और आध्यात्मिकता से जुड़ी है। यह हमारे घर और हमारी निजी मान्यताओं का हिस्सा है।
हमें यह समझना होगा कि एक राष्ट्र के रूप में हमारी पहचान, हमारे साझा मूल्यों और लक्ष्यों से बनती है, न कि किसी एक धर्म से। जब हम इन दोनों को मिलाते हैं, तो राष्ट्र की एकता कमजोर होती है और सामाजिक सद्भाव खतरे में पड़ जाता है।थाना जसवंत नगर में थानाअध्यक्ष संजय सिंह ध्वजा रोहण करते हुये.
असली मुद्दे, असली लड़ाई
आज हमारे सामने बेरोजगारी की विकराल समस्या है, जिससे हमारे युवा, जो देश का भविष्य हैं, प्रभावित हो रहे हैं। किसानों और मजदूरों की स्थिति में सुधार की सख्त ज़रूरत है, जिनकी मेहनत पर हमारा देश टिका हुआ है।
संसाधनों का असमान वितरण और सत्ता का कुछ हाथों में केंद्रीकरण समाज में असंतोष पैदा करता है। असली लड़ाई इन शोषणकारी ढाँचों को खत्म करने और एक ऐसे समाज की स्थापना की है, जहाँ हर व्यक्ति को उसकी जाति, धर्म या पृष्ठभूमि के बजाय उसकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने का मौका मिले। जब तक हम इन समस्याओं का समाधान नहीं करेंगे, तब तक एक मजबूत और टिकाऊ राष्ट्र का सपना अधूरा ही रहेगा।मानवीय गुणों की ज़रूरत
एक स्वस्थ समाज की पहचान उसकी इमारतों या सड़कों से नहीं, बल्कि उसके लोगों के नैतिक गुणों से होती है। ईमानदारी, सहानुभूति, परिश्रम, और न्याय जैसे गुण समाज में विश्वास और भाईचारे को बढ़ाते हैं। ये गुण हमें एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील बनाते हैं और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करते हैं। जब हमारे राजनेता, कानून बनाने वाले और समाज के अगुवा इन गुणों को अपनाते हैं, तभी एक राष्ट्र सही दिशा में आगे बढ़ सकता है। हमें अपने नेताओं से केवल चुनावी वादे नहीं, बल्कि इन मानवीय मूल्यों पर आधारित नीतियों और कार्यों की उम्मीद करनी चाहिए। इन गुणों को बढ़ावा देना हमारी शिक्षा प्रणाली और सामाजिक संरचना का अभिन्न अंग होना चाहिए।
Crimediaries9 the real crime stories on YouTube
निष्कर्ष: एक बेहतर भारत की ओर
हमें एक ऐसे भारत का सपना देखना चाहिए, जहाँ धर्म या जाति के फर्क को पीछे छोड़कर सभी लोग एक-दूसरे का सम्मान करें। एक ऐसा भारत जहाँ हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का समान मौका मिले। यह तभी संभव है जब हम आपसी विभाजनकारी मुद्दों को छोड़कर, इंसानियत को राष्ट्र की सबसे बड़ी पहचान मानें।






