इटावा/जसवंतनगर: सरकारी मुद्दों को भुनाने में विपक्ष नहीं है सक्षम: डॉ धर्मेन्द्र कुमार

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मनोज कुमार, 7409103606

सक्षम नहीं है विपक्ष और वह नहीं भुना पाता सरकार द्वारा के मुद्दों को

कांवड यात्रा आजकल बहुत चर्चा में है। ईद के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नमाजियों पर यह कहकर प्रतिबंध लगाया गया कि सड़क नमाज के लिए नहीं होती। और उन मुस्लिम समुदाय को यह कहकर हिदायत दी कि वे अनुशासन हिन्दुओं से सीखें। उनकी इस विद्वता के आगे पूरा विपक्ष और उनका सलाहकार मंडल मूकदर्शक रह गया। सरकारी आदेश तामील हुआ। किंतु विपक्ष ने सरकार से यह सवाल करने की हिम्मत भी नहीं दिखा पाई कि क्या हिन्दुओं के लगने वाले मेले भी मंदिर के भीतर ही लगेंगे या पूर्व में लगते आए हैं। प्रायः देखा गया कि एक मेला के समय किलोमीटर तक सड़क पर दुकान लगाकर ,अतिक्रमण कर, भीड़ इकट्ठी कर, महीनों सड़क को बाधित करने के पीछे कौन जिम्मेदार है? क्या भविष्य में इस पर रोक लगेगी? विपक्षी नहीं पूछ पाए । यदि पूछ लिए होते तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाता और बार की राजनीतिक चालों का और दोहरी मानसिकता का झंझट हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाता। या फिर यह तुगलकी फरमान जहां से आया वहीं वापस चला जाता। किंतु विपक्ष के अनजान सलाहकार और वकील बेचारे कुछ कह पाने की जगह विपक्ष के नेता से कहते हैं चुप हो जाओ और अब कुछ भी बोलना आपके लिए खतरनाक होगा। फ़िर क्या विपक्ष के नेता चूहे की तरह बिल में घुस जाते हैं।

ऐसे ही सरकार का तुगलकी फरमान जिसमें कांवड यात्रा में पड़ने वाली दुकानों पर नेम प्लेट लगवाना अनिवार्य कर दिया और लागू भी करवा दिया। इससे कांवडियों द्वारा खाद्य पदार्थ लेने, खाने पर धर्म भ्रष्ट नहीं होगा। किंतु विपक्ष की सिट्टी पिटी गुम होकर प्रत्युत्तर नहीं दे पाए और न ही सलाह दे पाए। साथ विपक्ष के सलाहकार और वकील तो मानो मर गए हों। किंतु पार्टी में कल फिर चमचा गिरी करनी है तो वे अगले दिन चमचमाती ड्रेस और गाड़ी से कार्यालय पहुंच कर दो चार इधर उधर की सुना कर नेता हितेषी बन गए हैं। 

समय रहते इसके लिए शानदार जबाव दिया सकता था । सांप बिल्कुल मर जाता और लाठी को नुकसान भी नहीं होता। 

सिर्फ विपक्ष यह मांग करता कि कांवड यात्रा पर निकलने वाले कांवड़िएइ समें बंगला देशी, पाकिस्तानी आतंकी हो सकते हैं जो पूर्व में सड़कों पर मारा मारी, तोड़ फोड़कर यात्रा को बदनाम करते हैं। अतः सरकार को इनकी सही पहचान केलिए कबाड़ियों का कागजी वेरीफिकेशन तथा नामांकन एस डी एम, या डी एम कार्यालय में कराना अनिवार्य करने की मांग की जाती। साथ ही कांवड यात्रा पर जाने वाले कांवडियों द्वारा पहनने वाले कपड़े के चेस्ट पर या कांवड़ पर पूरा नाम, उनका स्थाई पता, जाति सहित अंकित करने की मांग की जाती। विपक्ष की मांग से उन यात्रियों को जो रास्ते में तोड़ फोड़ और बदनाम करते हैं उन पर अंकुश लग जाता साथ ही यात्रियों की सही संख्या तथा उन्हें होने वाली परेशानी , दुर्घटना से अधिकारी और सरकार बाकिफ होकर उनकी सही समय पर मदद कर पाती।

इससे विपक्ष का काम अपने आप हो जाता कि सबको अर्थात् सरकार और पूरे देश को कांवडियों असली जाति और वर्ण पता चल जाता । तब जाति के आधार पर सरकार द्वारा संरक्षित ,नेम प्लेट लगे बहुसंख्यक ढाबों दुकानों पर उन्हें खाना भी नहीं मिलता। साथ ही वे मंदिरों में भी जाति और वर्ण के आधार पर प्रवेश सम्बन्धी परेशानियां तथा उनके साथ होने वाला दुर्व्यवहार देश व दुनियां के सामने आ जाता। तब कावड़ का जुनून भी कांवड़ियों के दिमाग़ में स्पष्ट देखा जाता। इससे आपका वोट प्रतिशत ही नहीं बढ़ता बल्कि सरकार का मुखिया बनने से कोई रोक नहीं सकता। और आप सरकार का आराम से शुद्धिकरण कर देते। सरकार फसती और या तो नेम प्लेट वाला आदेश वापस लेती या बकवास करने के लिए हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाती। किंतु विपक्ष के बचकानेपन की वजह से सरकार विपक्ष का शुद्धिकरण आराम से कर देती है और अनजान विपक्ष मौन होकर झेलता और फुंके कारतूस जैसे सलाहकारों की दम पर सत्ता में पहुंचने के मुंगेरी लाल जैसे हसीन सपने देखता रहता है।

डॉ धर्मेन्द्र कुमार 

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