लखनऊ: अयोध्या के पावन पर्व पर 25 करोड़ का पाप?
अयोध्या के पावन पर्व पर 25 करोड़ का पाप? — प्राण प्रतिष्ठा खर्च में घोटाले की गूंज
लखनऊ : राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को देश ने श्रद्धा का पर्व माना था — पर अब उसी आयोजन के खर्च में 25 करोड़ रुपये से अधिक के कथित घोटाले के आरोपों ने एक गहरी छाया डाल दी है।
आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी शिकायत में नगर निगम अयोध्या और उससे संबंधित अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं।
अमिताभ ठाकुर के अनुसार, लोकल फंड ऑडिट विभाग, अयोध्या मंडल द्वारा वर्ष 2023–24 के लिए की गई ऑडिट में कई ऐसे बिंदु उजागर हुए हैं जो घोर वित्तीय अनियमितता की ओर संकेत करते हैं।
रिपोर्ट में दर्ज कुछ प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं —
1. ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को टेंडर देना।
2. टेंडर स्वीकृति से पहले ही बिल प्रस्तुत कर भुगतान करा लेना।
3. निर्धारित दरों से कहीं अधिक मूल्य पर कार्य देना।
4. एक ही वाहन का बार-बार वजन दिखाकर भुगतान लेना।
5. बिना बिल के भुगतान करना।
6. कान्हा गौशाला में विधिविरुद्ध भुगतान।
ऑडिट में जिन कंपनियों के नाम आए हैं, उनमें किंग सिक्योरिटी सर्विस, लायन सिक्योरिटी सर्विस, राजन इंजीनियरिंग, और लल्लूराम एंड सन्स जैसी एजेंसियाँ शामिल हैं।
अयोध्या केवल एक शहर नहीं — आज यह राष्ट्रीय भावनाओं और आस्था का केंद्र है। ऐसे में वहाँ प्राण प्रतिष्ठा जैसे पवित्र आयोजन के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप केवल वित्तीय अपराध नहीं, नैतिक अपराध के समान हैं।
यह मामला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे प्रश्न उठाता है — क्या आस्था की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे भ्रष्टाचार की अर्थव्यवस्था में बदल रही है? और क्या सरकार अपने ही अधीन विभागों में पारदर्शिता की वही कसौटी लागू करेगी, जो वह अन्यत्र से अपेक्षित करती है?
अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि — इन आरोपों की स्वतंत्र जांच कराई जाए, और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों तथा ठेकेदारों पर कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल धन का नहीं, बल्कि आस्था के सम्मान और शासन की विश्वसनीयता का है।
जब मंदिर की छाया में प्रशासनिक गड़बड़ियाँ दिखने लगें, तो यह केवल सरकारी तंत्र का नहीं, समाज के सामूहिक विवेक का संकट बन जाता है।
अयोध्या की पवित्रता केवल रामलला की मूर्ति में नहीं, बल्कि उस न्याय और पारदर्शिता में भी है
जिसकी रक्षा का संकल्प उसी भूमि पर बार-बार लिया गया है।
यदि प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर धन का दुरुपयोग हुआ है, तो यह केवल भ्रष्टाचार नहीं — आस्था के प्रति अपराध है।
राज्य सरकार को चाहिए कि इस मामले की जांच को जनविश्वास की कसौटी पर परखे — तभी अयोध्या सचमुच “रामराज्य” का प्रतीक बन पाएगी।