प्रधानमंत्री जी, भ्रष्टाचार की टंकी में डिजिटल ताला लगाइए

 लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला 

प्रधानमंत्री जी, भ्रष्टाचार की टंकी में डिजिटल ताला लगाइए

भारत में डिजिटल भुगतान का परिदृश्य बीते एक दशक में अभूतपूर्व ढंग से बदला है। 2016 की नोटबंदी के बाद जिस यूपीआई (Unified Payments Interface) को गति मिली थी, वह आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है।

यूपीआई का विस्तार : भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और NPCI के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 में यूपीआई से मासिक लेन-देन का मूल्य 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। 2016 में जहाँ महज़ 10 लाख से कम लोग डिजिटल पेमेंट कर रहे थे, वहीं अब यह संख्या 30 करोड़ से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं तक पहुँच गई है।

कैश का झुकाव घटा : आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि भारत में जीडीपी के अनुपात में कैश का उपयोग लगातार घट रहा है। 2016 में यह आँकड़ा लगभग 12% था, जो 2024 में घटकर 8-9% पर आ गया है।

वैश्विक परिदृश्य : स्वीडन, नॉर्वे और चीन जैसे देश पहले ही ‘कैशलेस’ की दिशा में बढ़ चुके हैं। स्वीडन में तो मात्र 3% लेन-देन नकद में होता है। चीन में QR कोड आधारित भुगतान ने कैश को लगभग अप्रासंगिक बना दिया है।

# कैश खत्म करने से क्या होगा?

1. भ्रष्टाचार पर अंकुश

    ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रिश्वतखोरी और कैश-आधारित भ्रष्टाचार अभी भी बड़ा मुद्दा है।

   डिजिटल भुगतान से हर लेन-देन का रिकॉर्ड बनेगा, जिससे रिश्वत लेना-देना जोखिमभरा हो जाएगा।

    “बेनामी” कैश संपत्ति या चुनावी नकद वितरण जैसे काले रास्ते स्वतः बंद होंगे।

2. काला धन और टैक्स चोरी पर रोक

 CBDT के आँकड़ों के अनुसार भारत में टैक्स चोरी से हर साल 10 लाख करोड़ रुपये तक का राजस्व नुकसान होता है।

   जब कैश समाप्त होगा, हर आय-व्यय बैंकिंग प्रणाली में दर्ज होगा। इससे टैक्स बेस बढ़ेगा और सरकार को सामाजिक कल्याण पर अधिक खर्च करने का अवसर मिलेगा।

3. अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता और गति

 नकद प्रबंधन (Cash Management) की लागत, जिसे आरबीआई और बैंकों पर वहन करना पड़ता है, सालाना 20-25 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है।

 पूरी तरह डिजिटल लेन-देन से यह बोझ खत्म होगा और बैंक संसाधन अर्थव्यवस्था की वास्तविक प्रगति में लगेंगे।

4. नागरिक सुविधा

 कैशलेस लेन-देन से आम नागरिक को नोट गिनने, चिल्लर ढूंढने या नकली नोट के डर से मुक्ति मिलेगी।

   ग्रामीण भारत में भी डिजिटल भुगतान का विस्तार तेजी से हो रहा है—2023 में ग्रामीण यूपीआई लेन-देन में 35% की वृद्धि दर्ज हुई।

# चुनौतियाँ और सावधानियाँ

डिजिटल डिवाइड : अभी भी भारत की लगभग 35% आबादी स्मार्टफोन और इंटरनेट से दूर है।

साइबर सुरक्षा : NCRB के अनुसार 2024 में डिजिटल फ्रॉड और साइबर अपराधों के 2 लाख से अधिक मामले दर्ज हुए।

विश्वसनीय बिजली और नेटवर्क : ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और पावर बैकअप की समस्या बनी हुई है।

प्रधानमंत्री जी, यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति और तकनीकी बुनियाद मजबूत हो, तो भारत दुनिया का पहला बड़ा राष्ट्र बन सकता है जो पूरी तरह नकद-मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ाए। इससे न केवल भ्रष्टाचार और काला धन नियंत्रण में आएगा, बल्कि भारत वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था का नेतृत्व भी करेगा।