भारतीय मीडिया—सच के साधक या संदेह के स्रोत?

 लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला 

भारतीय मीडिया—सच के साधक या संदेह के स्रोत?

1. प्रेस स्वतंत्रता: भारतीय मीडिया किस मोड़ पर है?

Reporters Without Borders (RSF) के World Press Freedom Index 2025 में भारत 151वें स्थान पर है, जो कि पिछले वर्ष के 159वें स्थान से थोड़ी सुधार के बावजूद चिंताजनक स्थिति है।

 RSF ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत लोकतंत्र में “प्रेस स्वतंत्रता के संकट” का सामना कर रहा है—जिसमें पत्रकारों पर हमले, मीडिया की राजनीतिक झुकाव, और भय का माहौल शामिल है।

RSF के आंकड़े बताते हैं कि राजनीतिक, विधायी, सामाजिक, और सुरक्षा संबंधी दृष्टिकोण से भारत की प्रेस स्वतंत्रता लगातार कमजोर हो रही है।

2. मीडिया पर जनता का भरोसा: गिरते ग्राफ की कहानी

टीवी समाचार चैनलों पर भरोसा केवल 13% है, जबकि अखबारों पर 31% और ऑनलाइन मीडिया पर उससे भी कम लोगों का भरोसा है।

 Ipsos Trust Survey (2025) बताता है कि मीडिया में सरकार और न्यायपालिका की तुलना में जनता का भरोसा काफी कम—केवल 35% है।

3. यूट्यूब और सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों का बाजार

 PIB फैक्ट-चेक यूनिट ने दिसंबर 2023 में 9 यूट्यूब चैनलों को चिन्हित किया जिनके 83 लाख से अधिक सब्सक्राइबर थे, और जो संवैधानिक पदाधिकारियों के कथन गर्भित रूप से दर्शा रहे थे।

 जनवरी 2023 में देश की 6 यूट्यूब चैनलों (जैसे Nation TV, Samvaad TV, आदि) को बंद कर दिया गया था—उनके पास कुल मिलाकर 20 लाख सब्स्क्राइबर थे और उनकी वीडियो व्यूज़ 51 करोड़ से अधिक।

अगस्त 2023 में फिर 8 चैनलों (जैसे SPN9 News, Educational Dost आदि) पर कार्रवाई हुई—इन चैनलों के सब्स्क्राइबर मिलाकर 23 मिलियन, और व्यूज़ करोड़ों में थे।

 नकली खबरों में ‘सरकारी योजनाओं का बंद होना’, ‘ईवीएम बैन’, ‘आगामी चुनाव की घोषणा’ जैसी जानकारी शामिल थी।

 सोशल मीडिया पर सचेल संवाद जैसे वीडियो ('मीट-स्ट्रीट स्टाइल'), असल में कई बार प्लांटेड पार्टी वर्कर्स से तैयार किए गए होते हैं—जो दर्शकों को गलत दिशा में प्रभावित करते हैं।

4. अभद्र सूचना: गहराती समस्याएँ

 वर्ष 2025 में जब Operation Sindoor हुआ, सोशल मीडिया पर भारतीय सेना पर आत्मघाती हमलों और पाक-हमलों की फ़र्जी खबरें फैलीं। PIB फैक्ट-चेक ने इन खबरों को पूरी तरह गलत करार दिया।

 The Guardian की रिपोर्ट बताती है कि भारत-पाक सीमा पर फेक जगहों और पुरानी फुटेज से निर्मित नकली स्थितियाँ सोशल मीडिया पर फैल कर तनाव बढ़ाने का कारण बनीं—मीडिया की भूमिका की समीक्षा को ज़रूरी बनाती हैं।

इसके अलावा चुनाव समय में Bollywood सितारों (आमिर खान, रणवीर सिंह) की AI जनित deepfake वीडियो भी वायरल हुए थे, जो विपक्ष का समर्थन दिखा रहे थे; बाद में ये फर्जी साबित हुए।

5. मीडिया की चुनौती और जनता की भूमिका

 प्रेस की स्वतंत्रता कमजोर हो रही है — RSF की रैंकिंग और सरकारी दबाव बढ़ने से यह स्पष्ट होता है।

भरोसा ख़तरे में है — टीवी, प्रेस और सोशल मीडिया सभी पर जनता का भरोसा गिरा है।

फर्जी खबरों का उद्योग — यूट्यूब और सोशल मीडिया पर misinformation पहले से अधिक पैठ बना चुका है।

सच की रक्षा जनता की जिम्मेदारी — वास्तविक रिपोर्ट चाहने वाले अख़बार पढ़ें, तथ्य-तलाशी करें, और स्वतंत्र पत्रकारों का समर्थन करें। मीडिया तभी सुधरेगा जब जनता की मांग विवेकपूर्ण और सत्य की होगी।