भारत के सामने चीन की चुनौती और अवसर : ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2025 से सबक

 लखनऊ डेस्क प्रदीप शुक्ला 


भारत के सामने चीन की चुनौती और अवसर : ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2025 से सबक

संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) ने हाल ही में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2025 जारी किया है। इसमें चीन ने पहली बार शीर्ष 10 में जगह बनाई है, जबकि जर्मनी एक पायदान नीचे खिसक गया। यह परिवर्तन वैश्विक नवाचार परिदृश्य में हो रहे गहरे बदलाव को रेखांकित करता है।

# चीन की रणनीति से सबक

चीन की सफलता संयोग नहीं है। यह उसके दशकों के अनुसंधान एवं विकास (R\&D) निवेश, उद्योग–अकादमिक साझेदारी और सरकारी संरक्षण का नतीजा है।

 1995 में जहाँ चीन ने केवल 103 अंतरराष्ट्रीय पेटेंट आवेदन किए थे, वहीं 2024 में यह संख्या 70,153 तक पहुँच गई।

विश्व स्तर पर पेटेंट आवेदनों में 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अब चीन का है।

निजी क्षेत्र की फंडिंग और सरकारी प्रोत्साहन ने मिलकर एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार किया है, जिसने चीन को “नकल करने वाले” से “नवाचार करने वाले” राष्ट्र में बदल दिया है।

# भारत की वर्तमान स्थिति

भारत का डिजिटल इकोसिस्टम तेजी से बढ़ा है। हमारे पास—

 युवा तकनीकी प्रतिभा (देश की औसत आयु 28 वर्ष के आसपास है),

स्टार्टअप इकोसिस्टम (भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब है),

और डिजिटल पेमेंट से लेकर ब्लॉकचेन तक के क्षेत्रों में व्यापक अनुभव मौजूद है।

लेकिन इसके बावजूद, भारत अभी तक ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स की शीर्ष 30 सूची से ऊपर नहीं जा पाया। मुख्य चुनौतियाँ हैं:

1. R\&D निवेश बेहद सीमित है (GDP का लगभग 0.7% जबकि OECD देशों का औसत 2–3% है)।

2. विश्वविद्यालय और उद्योग जगत में सीधा सहयोग बहुत कम है।

3. पेटेंट फाइलिंग की प्रक्रिया धीमी और जटिल है।

4. वेंचर कैपिटल निवेश अभी भी शुरुआती दौर में है, खासकर हार्ड-टेक और डीप-टेक क्षेत्रों में।

# आगे का रोडमैप: भारत क्या करे?

भारत अगर जर्मनी की जगह लेना चाहता है और अगले पाँच वर्षों में टॉप 10 इनोवेशन अर्थव्यवस्था बनना चाहता है, तो उसे निर्णायक कदम उठाने होंगे—

1. R\&D में निवेश दोगुना करना

   – सरकार को GDP का कम से कम 2% अनुसंधान पर खर्च करना चाहिए।

   – रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान की तरह स्वास्थ्य, कृषि और डिजिटल टेक्नोलॉजी में भी बड़े पैमाने पर निवेश आवश्यक है।

2. उद्योग–अकादमिक सहयोग

   – IITs, IISERs और AIIMS जैसे संस्थानों को उद्योग जगत से सीधे जोड़ा जाए।

   – प्रयोगशाला से निकली तकनीक तुरंत स्टार्टअप्स और कंपनियों तक पहुँचे।

3. स्टार्टअप्स और वेंचर कैपिटल को बढ़ावा

   – AI, साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन और बायोटेक जैसे क्षेत्रों में फंडिंग को प्राथमिकता मिले।

   – विदेशी निवेश के साथ-साथ घरेलू निवेशकों को भी प्रोत्साहन देना होगा।

4. नवाचार–अनुकूल नीति और तेज़ पेटेंट प्रणाली

   – पेटेंट फाइलिंग की प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी हो।

   – नए विचारों और IP (Intellectual Property) की सुरक्षा सरल और सस्ती बनाई जाए।

5. युवा प्रतिभा का उपयोग

   – स्कूली और उच्च शिक्षा में AI, रोबोटिक्स और डिज़ाइन थिंकिंग जैसे विषयों को मुख्यधारा में शामिल करना होगा।

   – ग्रामीण और छोटे शहरों के युवाओं को भी इनोवेशन नेटवर्क से जोड़ा जाए।

चीन ने दिखा दिया है कि अगर कोई देश अनुसंधान और तकनीकी नवाचार को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकता बना ले तो वह वैश्विक शक्ति-संतुलन बदल सकता है। भारत के पास मानव संसाधन और डिजिटल ताकत दोनों हैं, परंतु दिशा और निवेश की कमी है।

अगर भारत अपनी नीतियों को निर्णायक रूप से सुधार ले और डिजिटल इनोवेशन को राष्ट्रीय एजेंडा बनाए, तो आने वाले वर्षों में जर्मनी को पीछे छोड़ना ही नहीं, बल्कि टॉप 10 में स्थायी जगह बनाना भी संभव है।