खतरे में देश का आकाश: GPS स्पूफिंग, आतंकवाद और सुरक्षा तंत्र का पतन

 


खतरे में देश का आकाश: GPS स्पूफिंग, आतंकवाद और सुरक्षा तंत्र का पतन

दिल्ली के अति-संवेदनशील इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर 800 से अधिक उड़ानों का बाधित होना, जिसे GPS सिग्नल स्पूफिंग (छेड़छाड़) का परिणाम माना गया है, एक राष्ट्रीय आपदा का संकेत है। यह घटना सिर्फ तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि एविएशन टेररिज्म की श्रेणी में आने वाला एक ऐसा असाधारण हमला है, जिसने देश की सुरक्षा प्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

यह विफलता इसलिए और भी भयावह है क्योंकि यह ठीक उस समय हुई जब देश के राजनीतिक नेतृत्व की प्राथमिकताएं चुनावी रैलियों और व्यक्तिगत गोपनीयता पर केंद्रित थीं—पटना के होटल के सीसीटीवी पर पर्दा और दिल्ली के आसमान में साजिश, यह देश की वर्तमान प्राथमिकता और उसके खतरनाक परिणाम का विरोधाभास है।

## हवा में साजिश: एविएशन टेररिज्म की नई परिभाषा

साइबर युद्ध और भौतिक आतंकवाद का यह गठजोड़ एक नए खतरे का संकेत है। GPS स्पूफिंग में हमलावर जानबूझकर ऐसे फर्जी सिग्नल भेजते हैं जिससे विमानों की वास्तविक स्थिति, ऊँचाई और दिशा गलत दिखने लगती है।

1. जीवन पर सीधा हमला: यदि पायलटों ने समय रहते "मैनुअल कंट्रोल" पर स्विच न किया होता, तो विमान दुर्घटनाएँ हो सकती थीं, जिससे सैकड़ों यात्रियों की जान चली जाती। यह घटना सिद्ध करती है कि हमलावरों के पास हवाई जहाजों को क्रैश करने की तकनीकी क्षमता मौजूद है।

2. हाई-सिक्योरिटी एयरस्पेस की विफलता: दिल्ली का हवाई क्षेत्र देश के सबसे सुरक्षित और मॉनिटर किए गए क्षेत्रों में से एक है। इस हाई-प्रोफाइल ज़ोन में किसी तकनीकी साजिश का सफलतापूर्वक अंजाम दिया जाना, DGCA, CISF, RAW और IB जैसी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की घोर विफलता है। यह दिखाता है कि देश का सुरक्षा तंत्र साइबर खतरों से निपटने के लिए अपर्याप्त है।

3. राजनीतिक लापरवाही: यह विफलता इसलिए भी अक्षम्य है क्योंकि यह ऐसे समय हुई जब राजनीतिक नेतृत्व की पूरी ऊर्जा चुनावी मैनेजमेंट और राजनीतिक नैरेटिव सेट करने में लगी है, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर विषय को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है।


## जिम्मेदारी का शून्य और पारदर्शिता की मांग

इतनी बड़ी घटना के बावजूद, सरकार का रवैया गोपनीयता और आंतरिक जाँच तक सीमित रहने का रहा है। यह प्रवृत्ति 'जिम्मेदारी' को 'शून्य' कर देती है।


* जवाबदेही का अभाव: इस घटना ने एक बार फिर खुफिया तंत्र की शृंखलागत विफलता (पुलवामा, 3000 किलो विस्फोटक) को उजागर किया है। जब देश में इतनी बड़ी सुरक्षा चूक होती है, तो किसी मंत्री या संतरी का इस्तीफा न होना, नैतिक जवाबदेही के पतन का स्पष्ट संकेत है।

* साइबर सुरक्षा का खोखलापन: यह स्पष्ट है कि देश के पास GPS सुरक्षा के लिए कोई मजबूत "एंटी-स्पूफिंग" या स्पूफिंग डिटेक्शन सिस्टम मौजूद नहीं है। अगर है, तो वह काम क्यों नहीं कर रहा? सरकार को तत्काल यह स्पष्ट करना चाहिए कि भारत के सभी प्रमुख एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा ढांचा मजबूत करने के लिए क्या किया जा रहा है?


## आगे का रास्ता: राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि


इस संकट को केवल "तकनीकी फॉल्ट" कहकर टालना, अगली आपदा को न्योता देना होगा। सरकार को तत्काल निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:


1. स्वतंत्र जाँच आयोग: इस मामले की जाँच को केवल आंतरिक जाँच तक सीमित न रखा जाए। एक स्वतंत्र तकनीकी आयोग या संसदीय समिति से इसकी पारदर्शी जाँच कराई जाए ताकि पता चले कि यह हमला किसी विदेशी हैकर ग्रुप या दुश्मन देश से जुड़ा है या नहीं।

2. सुरक्षा फ्रेमवर्क का आधुनिकीकरण: देश के सभी प्रमुख एयरपोर्ट्स पर तत्काल GPS स्पूफिंग डिटेक्शन सिस्टम और बैकअप नेविगेशन नेटवर्क (जैसे GAGAN) को अपग्रेड किया जाए।

3. जनता से संवाद: सरकार और उड्डयन मंत्रालय को डर और अफवाहों को समाप्त करने के लिए जनता के सामने आकर सच्चाई बतानी चाहिए कि सुरक्षा क्यों विफल हुई और इसे ठीक करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

यह वक्त राजनीतिक रैलियों और व्यक्तिगत गोपनीयता से ऊपर उठकर राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का है। देश का आसमान खतरे में है, और अब जवाबदेही और पारदर्शिता ही हमारी सुरक्षा की पहली शर्त है।