महागठबंधन के हार का कारण



🌺...महागठबंधन के हार का कारण...🌺

1- राइफल से खूंटा ठोकाला

2- RJD के माल हई रे

3-भैया के आवे दा सत्ता में 

4-मारब सिक्सर के 6 गोली छाती में रे

5- रंगदार बनत हो 

6- नई नई कन्या बानी, वोट देहब लालटेनिया के 

7- भूरा बाल साफ 

2025 की विधानसभा चुनाव राजद के कार्यकर्ताओं की हरकतों ने उन्हें चुनाव हरवा दिया, पार्टी से प्रेरित गायकों ने चुनाव हरवा दिया, उत्तर प्रदेश में स्व मुलायम सिंह यादव जी और श्री अखिलेश यादव जी से कुछ सीख लेते, समाजवादी पार्टी में एक प्रकोष्ठ है सांस्कृतिक प्रकोष्ठ लेकिन क्या मजाल है कि कभी कोई अश्लील गाना गा दे, समाजवादी पार्टी के जितने गाने होते हैं सब में पार्टी का ही प्रचार प्रसार और कामों की चर्चा होती है, लेकिन वही बिहार में इसके विपरीत तेजस्वी यादव लगातार ऐसे कार्यकर्ताओं का उत्साह वर्धन कर रहे थे और मनोबल बढ़ाने का काम कर रहे थे।

पार्टी के आधिकारिक पोस्ट/पोस्टरों से लालू यादव जी की तस्वीर तो हटाई लेकिन उन्हें प्रचार करने के लिए दानापुर (27224), दीघा (59079) विधानसभा में भेज दिए और इन दोनों सीटों पर एनडीए भारी अंतर से चुनाव जीत गई।

तेजस्वी यादव सबसे अधिक वोट परसेंटेज लेकर चुनाव लड़ते हैं 14.26 परसेंट यादव, 17.70% मुसलमान लेकिन उसके बाद भी उनकी पार्टी की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है, और इस बार तो मुसलमान ने भी वोट नहीं किया ! उसकी बड़ी वजह है उनके कार्यकर्ता जो सार्वजनिक जगह से लेकर सोशल मीडिया कहीं भी किसी से भी गाली गलौज करने लगते हैं अपने समाज के अलावा दूसरे समाज की कभी इज्जत तक नहीं करते हैं, उनकी इन्हीं हरकतों से समाज में भय व्याप्त हो जाता है।

🌺...अति आत्मविश्वास या अहंकार...🌺

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1-सबसे पहले तेज प्रताप यादव जी को निपटाया

2-फिर पार्टी से रोहिणी आचार्य जी को निपटाया गया

3-लालू यादव जी की पार्टी के पोस्टरों से तस्वीर हटाई गई

4- फिर ऐसी घोषणाएं की गई की जो सरकार बनने के बाद भी पूरी ही नहीं हो सकती थी, उनकी घोषणाओं की वजह से ही उनके गठबंधन के लोगों में ही मतभेद हो चुका था।


5- चुनाव के दूसरे फेज में बीजेपी चाहती थी कि तेजस्वी यादव अति उत्साह में आए और अपनी जीत का दावा कर दे ! जिससे कि उनके कार्यकर्ताओं से डरने वाली अन्य जातियां एकजुट हो जाए और आखिरकार यही हुआ भी।


6- राजद के कार्यकर्ताओं ने जल्दी-जल्दी अपने गाने लॉन्च करने शुरू कर दिए, जिससे महिलाओं सहित आम लोगों के बीच डर का माहौल बन गया।

7- तेजस्वी जी ने अपराध का विरोध तो किया लेकिन अपराधियों से गुरेज नहीं किया, जिससे वह छवि जो बनाना चाहते थे वह बन नहीं पाई!

8 - छोटी पार्टियों पर अत्यधिक भरोसा करना और उनके नेताओं के द्वारा वोट का मूवमेंट न करा पाना!

9- मुसलमान को बीजेपी की धमकी दिखाकर वोट लेना भारी पड़ गया, सबसे कम प्रचार असदुद्दीन ओवैसी ने किया लेकिन उनकी पार्टी के 5 विधायक जीत गये और वह भी सब के सब मुस्लिम ! 

ये सब असदुद्दीन ओवैसी पार्टी के उम्मीदवारों के वोट है !

(i) जोकिहाट ( मो मुर्शिद आलम) 83727 (28803 से जीते)

(ii) कोचधामन (सरवर आलम ) 81860 (23021 से जीते)

(iii) अमौर ( अख्तरुल इमान) 1 लाख से अधिक 

(iv) बहादुरगंज (तौसीफ आलम) 85300

(v) बैसी (गुलाम सरवर) 76248

(vi) ठाकुरगंज, किशनगंज (76421, 51370) सहित 16 जगह अच्छा खासा वोट मिला!

तेजस्वी जी के साथ सिर्फ 14.26 परसेंट उनके सजातीय ही रहे साथ, बाकी अन्य बिरादरियों ने उन पर भरोसा नहीं किया, खासकर मूल द्वय मतदाता मुसलमान ने! राजद की बजाय मुसलमानों ने जदयू की तरफ वोट करना ज्यादा पसंद किया ! क्योंकि राजद के पास एक ही मुस्लिम बड़े नेता थे अब्दुल बारी सिद्दीकी जिन्हें हमेशा राष्ट्रीय जनता दल ने किनारे लगा कर रखा ! तो इसलिए ईवीएम का बहाना करके, वोट चोरी का बहाना करके, रोने के बजाय हार स्वीकार करके और अपनी कमियों में सुधार करके आगे बढ़े ! राजनीति है यहां हार और जीत होती रहती है।

अपनी पार्टी की छवि सुधारने की कोशिश करें और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी से सीखने का काम करें अभी बहुत कुछ आपको सीखने की जरूरत है, बाकी व्यक्तिगत रूप से आपको अपनी सीट जीतने के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं बहुत-बहुत बधाई ! राजनीति में बड़ी हार, बड़ी जीत की तरफ ले जाती है ! 

     हार से दुख है पर इसका मतलब ये नही की दोषारोपण कर चुप बैठ जाए। जीत हार दोनो एक सिक्के के दो पहलु है हार की समीक्षा हो। कुछ कड़े फैसले लिए जाए। जमीनी स्तर पर आज ही से जनता जनार्दन के बीच रहकर उनके दुख व दुख में सहभागी बने रहे।